छत्तीसगढ़ में 1 अगस्त से आम उपभोक्ताओं को बिजली का झटका लग सकता है। बिजली वितरण कंपनी का दावा है कि लगातार कम दर बिजली देने के कारण कंपनी घाटे में चली गई है और ये घाटा अब लगभग 6000 करोड़ रुपए का हो गया है।मौजूदा टैरिफ के मुताबिक वितरण कंपनी को इस साल करीब 2000 करोड़ रुपए का फायदा है।
लेकिन पिछले सालों के नुकसान में इसे एडजेस्ट करने के बाद भी कंपनी लगभग 4000 करोड़ रुपए के घाटे में रहेगी । छत्तीसगढ़ बिजली अभियंता महासंघ के सचिव अरुण देवांगन के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी को घाटे से उबारने के लिए बिजली की दरों में बढ़ोतरी बहुत जरुरी है।
कर्मचारियों को 17 प्रतिशत महंगाई भत्ता अतिरिक्त देना पड़ेगा। इसके लिए कंपनी के उपर 350 करोड़ रुपए का भार आएगा। इसके अलावा पेंशन फंड की राशि भी कंपनी को देनी है, जो की लगभग 300 करोड़ रुपए है।मतलब साफ है की कंपनी को तत्काल 4650 करोड़ रुपए की जरूरत है।
नियामक आयोग के पूर्व सचिव पी एन सिंह के मुताबिक आज बिजली की लगात लगभग 5.90 रुपए प्रति यूनिट पड़ रही है, लेकिन कंपनी अपने उपभोक्ताओं को इससे भी कम दाम पर बिजली दे रही है।
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