0 गांवों में प्रसंस्करण की छोटी-छोटी इकाईयां स्थापित की जाएंगी
रायपुर 08 जुलाई (वेदांत समाचार) । मुख्यमंत्री बघेल ने देश-विदेश में कोदो, कुटकी, रागी जैसे मिलेट की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश में मिशन मोड में मिलेट उत्पादन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बड़े क्षेत्र में मिलेट का उत्पादन होता है। मिलेट्स के संग्रहण, प्रसंस्करण और वेल्यू एडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं के लिए रोजगार के साथ अच्छी आय के साधन विकसित किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने आज अपने निवास कार्यालय में आयोजित वन विभाग की समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोदो, कुटकी और रागी के क्षेत्र तथा उत्पादन में वृद्धि कर प्रसंस्करण के माध्यम से विभिन्न उत्पाद तैयार कर प्रदेश में मिलेट्स की खपत को बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश में कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा सहित राजनांदगांव, कवर्धा और बेमेतरा तथा सरगुजा के कुछ क्षेत्रों में इनका उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए चुनिंदा विकासखण्डों में मिलेट क्लस्टर चिन्हांकित कर उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जाए। मिलेट्स की खेती से महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ा जाए। उन्होंने गढ़कलेवा के व्यंजनों में कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को शामिल करने कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मिलेट्स के साथ मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उत्पादन वाले गांवों में छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयां लगाई जाएं और हाईजिन का ध्यान में रखते हुए एक या दो केन्द्रों में इनके पैकेजिंग की इकाईयां स्थापित की जाएं।
प्रदेश में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए इनकी खेती और फसल कटाई के लिए मशीनरी किराए पर उपलब्ध कराने, स्थानीय एवं उन्नत किस्म के बीजों की आपूर्ति, कृषि विज्ञान केन्द्रांे के माध्यम से इनके उत्पादन में वृद्धि के लिए तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कोदो, कुटकी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना में भी इसे शामिल किया गया है। कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादन वाले क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों और महिलाओं को पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए कोदो की खिचड़ी और रागी का हलवा दिया जा रहा है। इसके अलावा रागी लड्डू, कोदो, कुटकी मुरकु, पोहा जैसे उत्पाद भी इससे तैयार किए जा सकते हैं, जिनका उपयोग आंगनबाड़ी केन्द्रों और मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा मिलेट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च हैदराबाद से सहयोग लेने की पहल की जा रही है।
बैठक में जानकारी दी गई कि लघु वनोपजों के संग्रहण और प्रसंस्करण का काम कर रहे महिला स्व सहायता समूहों को पिछले दो वर्षों में इससे 501 करोड़ रूपए की अतिरिक्त आय हुई है। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़कर 52 हो गई है। इसी तरह संग्राहकों की संख्या डेढ़ लाख से बढ़कर 6 लाख से अधिक हो गई है। हर्बल उत्पादों के प्रसंस्करण में 115 गुनी वृद्धि हुई है। वर्ष 2018 में 5400 क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण होता था, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 6 लाख 21 हजार 176 क्विंटल हो गया है। हर्बल उत्पादों का विक्रय भी दोगुना हो गया है।
बैठक में वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, आवास एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन मनोज कुमार पिंगुआ, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, प्रबंध संचालक, छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ संजय शुक्ला, पीसीसीएफ (वन्यप्राणी) पी.व्ही. नरसिंहराव, पीसीसीएफ वन विकास निगम पी. सी. पाण्डेय, पीसीसीएफ वन अनुसन्धान अतुल शुक्ला उपस्थित थे।
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