बिलासपुर । एनटीपीसी के तारपोलीन ग्रुप के दैनिक वेतन भोगी मजदूरों ने एनटीपीसी प्रशासनिक भवन का घेराव किया। मजदूरों ने बताया कि एनटीपीसी ने हमें कही का नहीं छोड़ा। पहले तो जमीन हड़प लिया गया.। प्रबंधन ने हमें काश्तकार से मजदूर बना दिया। और अब बाहरी लोगों को भर्ती कर काम से बाहर निकाले जाने की साजिश हो रही है। हमारे स्थान पर बाहरी लोगों को रखा जा रहा है। साथ में मजदूरी के दिनों की संख्या को भी घटा दिया गया है। यदि मांग पूरी नहीं होती है तो ना केवल उग्र आंदोलन करेंगे। बल्कि सभी मजदूर मिलकर रेल भी रोकेंगे।
मंगलवार को दोपहर बाद एनटीपीसी में तारपोलीन ग्रुप के 150 से अधिक मजदूरों ने नाराज होकर प्रशासनिक भवन का घेराव किया। इस दौरान मजदूरों ने प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। तारपोलीन ग्रुप में नियुक्त किए गए साइड इंचार्ज और सुपरवाईजर को हटाए जाने की मांग की। मजदूरों ने कहा यदि सात दिनों के अन्दर घटाए गए दिनों की संख्या को बढ़ाया नहीं गया तो रेल रोको आंदोलन करेंगे। इसके लिए सीधे तौर पर एनटीपीसी प्रबंधन जिम्मेदार होगा।
प्रबंधन कर्मचारी का मजदूरों ने घेराव कर बताया कि बर्दास्त की कोई सीमा होती है। एक समय हम काश्तकार हुआ करते थे। एनटीपीसी ने हमें मजदूर बना दिया। और आज प्रबंधन धीरे धीरे कर मजदूरों का पेट काट रहा है। काम काज छीनने की साजिश भी कर रहा है।
मजदूरों ने बताया कि प्रबंधन की दो मुंहा नीति ने भर्ती किए अकुशल मजदूरों का जीवन नरक कर दिया है। एक एकड़ से अधिक वाले काश्तकारों को परमानेन्ट मजदूरी दी गयी है। सभी लोग एसी का आनन्द ले रहे हैं। एक एकड़ से कम जमीन वालों को मजदूर बना दिया गया है। लम्बे संघर्ष के बाद सभी को अकुशल मजदूर बनाकर काम लिया जा रहा है। शर्ते और नियमानुसार प्रत्येक अकुशल मजदूरों को 26 दिन का काम दिया जाना है। लेकिन प्रबंधन के इशारे पर मजदूरी दिनों की संख्या को कम कर दिया गया है। दैनिक वेतन भोगिया मजदूरों ने प्रबंधन के प्रतिनिधि को लिखित शिकायत देने के साथ बताया कि एक एकड़ से कम जमीन वालों को प्रबंधन ने अकुशल बनाकर भर्ती किया। अब तक सभी को 26 दिनों का दिया जा रहा था। यकायक दिनों की संख्या घटाकर 15 कर दिया गया है। और बाहरी मजदूरों को नियुक्त किया जा रहा है। ऐसे मजदूरों की संख्या 50 से अधिक है। सभी की नियुक्ति अधिकारियों की मिलीभगत से रूपये लेकर की गयी है।
मजदूरों ने कहा कि एक दिन काम करने पर उन्हें 431 रुपये दिया जाता है। काम में कटौती के बाद उन्हें पन्द्रह दिन का भुगतान किया जा रहा है। इतने कम रूपयों में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। मजदूरों की मांग है कि तत्काल प्रभाव से उन्हें 26 दिनों का काम दिया जाए। बाहरी मजदूरों समेत सुपर वाइजर और साइड इंचार्ज को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। यदि उन्हें सात दिनों के अन्दर न्याय नहीं मिलता है तो प्रबंधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे। मजदूर और स्थानीय लोग रेल रोकेंगे। इसके लिए एनटीपीसी प्रबंधन जिम्मेदार होगा।
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