कोरबा : कागजों में कुपोषण दूर कर रहा महिला एवं बाल विकास विभाग


कोरबा 1 जुलाई (वेदांत समाचार) महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं से लेकर शिशुवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार दिया जाना है। आंगनबाड़ी के माध्यम से वनांचल क्षेत्रों में चल रही रेडी टू ईट योजना की बदहाली स्पष्ट देखी जा सकती है। नियमित रूप से बच्चों को रेडी टू ईट नहीं मिल पा रहा है। पौष्टिकता के नाम पर बांटे जाने वाले रेडी टू ईट की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे है।

कुपोषण के खिलाफ लड़ने सरकार द्वारा रेडी टू ईट योजना चलाई जा रही है, पर कोरबा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले वनांचल क्षेत्रों में कोरवा आदिवासियों तक यह योजना नहीं पहुंच पा रही। पहाड़ के ऊपर रहने वाले कोरवा आदिवासियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने प्रशासन ने किसी तरह उन्हें नीचे उतारा है, पर आज भी उनकी जीवन शैली में कुछ खास बदलाव नहीं आ सका है। कोरवा आदिवासियों के ज्यादातर बच्चे कुपोषण का शिकार हो गए हैं।

बारिश के दिनों में आंगनबाड़ी केंद्रों में निरीक्षण नहीं किए जाने के कारण योजनाओं का क्रियान्वयन भी मनमाने तरीके से हो रहा है। वास्तविकता तो यह है कि आंगनबाड़ी केंद्र से बच्चों का वजन के आधार पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाना होता है। जिसके आधार पर जानकारी जिला कार्यालय भेजी जानी होती है, किंतु कई माह तक अपडेट जिला कार्यालय तक नहीं पहुंच पाती।

कुपोषण की स्थिति दयनीय होने के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों का दाखिला बढ़ने लगा है। वर्तमान में कोरबा पोषण पुनर्वास केंद्र में कितने बच्चे दाखिल हैं। उसकी जानकारी भी किसी प्रकार नहीं मिल पाती है

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