कबीरधाम जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चार साल पुरानी साड़ी पहनने का महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा दबाव बनाया जा रहा है। इसको लेकर विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कलेक्टर को सचिव के नाम शिकायत पत्र भी सौंपा गया है।
इस संबंध में जानकारी मिली है कि छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की अध्यक्ष सोनबाई बंजारे और जाहिदा खान ने गत 29 जून को जिले के कलेक्टर रमेश शर्मा को एक ज्ञापन सौंपा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव के लिए सौपे गए इस ज्ञापन में बताया गया है कि विभाग ने उनके लिए ड्रेस कोड तय कर कर रखा है। इसके मुताबिक उन्हें हर वर्ष 2-2 ड्रेस (साड़ियां) दी जाती हैं। जिले की आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं को 4 साल पहले ड्रेस मिली थी। उसके बाद से उन्हें अब तक ड्रेस नहीं मिली।
आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का कहना है कि 4 साल पहले दी गयी ड्रेस की हालत बेहद खराब हो चुकी है। वह पहनने लायक नहीं है। इसलिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पुराने ड्रेस को पहनने के लिए दबाव ना बनाया जाए। ड्रेस ना पहने पर मानदेय काट देने की धमकी ना दी जाए। आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं का कहना है कि कई जिलों में नए ड्रेस कोड के अंतर्गत नई साड़ियों का वितरण हो चुका है, लेकिन कबीरधाम जिले में नई ड्रेस कोड की नई साड़ियां नहीं मिली हैं। ऐसे में जब तक नई साड़ियां नहीं आ जाती हैं, तब तक ड्रेस कोड की अनिवार्यता से राहत दी जाए।
छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की कवर्धा ब्लॉक अध्यक्ष कांति बंजारे ने बताया- ‘4 साल पहले जो साड़ियां मिली थीं, वह बहुत खराब हो चुकी हैं। फट चुकी हैं। वह पहनने लायक नहीं है। हम अधिकारियों को बार-बार बता कर थक गए, लेकिन वह साफ शब्दों में कहते हैं कि ड्रेस कोड का पालन नहीं करने पर मानदेय काट दिया जाएगा। हमने कलेक्टर साहब को ज्ञापन सौंपा है।’
आंगनबाड़ीकर्मियों ने अपने ज्ञापन में यह कोविड 19 ड्यूटी के एवज में प्रोत्साहन राशि की मांग भी की है। छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की राजनांदगांव की जिला अध्यक्ष लता तिवारी ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार को तत्काल इस शिकायत पर संज्ञान लेना चाहिए और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं के साथ ऐसे अमानवीय व्यवहार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सरकार अगर कार्रवाई नही कर सकती तो कम से कम जीर्ण-शीर्ण कपड़े पहनने के लिए आँगनबाड़ीकर्मियों को मजबूर ना करे, बल्कि यथाशीघ्र ड्रेस का वितरण करे।
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