लोकसभा में पेश हुआ नया आयकर बिल, जानें क्या बदलेगा…

नई दिल्ली,13 फ़रवरी 2025। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया और अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को प्रस्तुत करने के दौरान इसका विरोध किया, लेकिन सदन ने इसे प्रस्तुत करने के लिए ध्वनिमत से प्रस्ताव पारित कर दिया।

विधेयक को पेश करते हुए सीतारमण ने बिरला से आग्रह किया कि वे मसौदा कानून को सदन की प्रवर समिति को भेजें, जो अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने अध्यक्ष से प्रस्तावित पैनल की संरचना और नियमों पर निर्णय लेने का आग्रह किया।

बहुप्रतीक्षित विधेयक में “कर निर्धारण वर्ष” और “पूर्व वर्ष” जैसे शब्दों के स्थान पर “कर वर्ष” जैसे सरलीकृत शब्द रखे जाएंगे, जो कि आयकर कानून की भाषा को सरल बनाने बनाएगा। इसके साथ ही नए कानून से अनावश्यक प्रावधान और स्पष्टीकरण भी हट जाएंगे।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में किया था नए आयकर कानून का एलान
आयकर कानूनों को सरल बनाने के लिए नया कानून बनाने का एलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2025 के अपने बजट भाषण में किया था। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट की भी मंजूरी मिल चुकी है। लोकसभा में पेश होने वाला नए आयकर विधेयक में 536 धाराएं है। इसमें 23 अध्याय है और यह  622 पन्नों का है। इस विधेयक के पारित होने के बाद नया आयकर कानून अधिक व्यवस्थित और वर्तमान कानून की तुलना में सरल होगा।

नए आयकर कानून में मूल्यांकन वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त

नए कानून में कर निर्धारण वर्ष की अवधारणा होगी समाप्त
वर्तमान में, पिछले वर्ष (2023-24) में अर्जित आय के लिए, कर का भुगतान निर्धारण वर्ष (2024-25) में किया जाता है। इस नये विधेयक में पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष की अवधारणा को हटा दिया गया है और सरलीकृत विधेयक में केवल कर वर्ष की बात कही गई है। आयकर विधेयक, 2025 में 536 धाराएं शामिल हैं, जो वर्तमान आयकर अधिनियम, 1961 के 298 धाराओं से अधिक हैं। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी।

पिछले छह दशकों में पुराने आयकर कानून में हुए हैं कई बदलाव
हालांकि, नए आयकर विधेयक में भी वर्तमान कानून की तरह ही अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है। जबकि पृष्ठों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान के भारी-भरकम अधिनियम का लगभग आधा है। वर्तमान में जो कानून अमल में है, उसमें पिछले छह दशकों के दौरान किए गए संशोधन शामिल हैं। जब आयकर अधिनियम, 1961 लाया गया था, तो इसमें 880 पृष्ठ थे।