सिलयारी 13 फरवरी 2025 (वेदांत समाचार): सिलयारी के रियल बोर्ड पेपर मिल के रद्दी में मिली सरकारी किताबों से जुड़ी अपर मुख्य सचिव रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट 3 दिसंबर को आ गई थी। इसमें उन्होंने धमतरी, सूरजपुर, जशपुर और राजनांदगांव के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो कर्मियों को दोषी पाया है।
1045 पेज की इस रिपोर्ट में दो आईएएस अफसर सहित 34 लोगों के बयान लिए गए। इसमें यह साफ पाया गया कि दो लाख सरकारी किताबों को रद्दी के भाव में बेचा गया। इसमें एक लाख किताबें 2024-25 सत्र की हैं, बाकी 2014 से 2023 के बीच की हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की मांग पर किताबें डिपो से निकलीं।
फिर कबाड़ी की दुकान पर गईं। ट्रकों को ट्रेस करने के लिए रेणु पिल्ले ने जीएसटी की मदद भी ली। इसमें गाड़ियों को रास्ता बदलकर जाते हुए पकड़ा गया। पिल्ले ने कबाड़ियों, ट्रांसपोर्टर और पेपर मिल मालिक पर भी एफआईआर की सिफारिश की है, लेकिन डीपीआई में रिपोर्ट दबा दी और अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई।
जांच में पाया गया कि 35 दिन में पेपर मिल तक 80 टन किताबें पहुंचाई गईं। इस पर रियल बोर्ड एंड पेपर मिल के मालिक महेश पटेल और विनोद रूढानी ने जांच समिति को बताया कि उनके पास हर साल निगम की किताबें आती हैं। लेकिन हम सत्र नहीं देखते। हमने नहीं देखा कि 2024-25 की किताबें आई हैं।
4 जिलों में किताबें पहुंचीं कबाड़
जशपुर: रायगढ़ निगम डिपो से जशपुर में अतिरिक्त पुस्तकों की मांग के लिए तीन गाड़ी किताबें भेजी गई। दो गाड़ी बीच में ही ट्रांसपोर्टर प्रदीप यादव ने कबाड़ व्यवसायी मोहम्मद रफीक, विनोद चौरसिया को दे दीं। एक गाड़ी जशपुर पहुंची और पावती तीनों गड़ियों की जमा कर दी गई।
धमतरी: सहायक ग्रेड-3 अमन ने ताज ट्रेडर्स के फराज कुरैशी को 10 टन किताबें बेचीं। ताज ने जीएसटी नंबर न होने पर नेहा ट्रेडर्स को 50 पैसे कमीशन देकर जीएसटी बिल लिया और गाड़ी पेपर मिल पहुंचा दीं।
सूरजपुर: शशिकांत ट्रेडर्स ने डीईओ कार्यालय के चपरासी अजीत गुप्ता और जितेंद्र साहू से 4 गाड़ी पिकअप में 16 टन किताबें लीं और नगद भुगतान किया। दोनों के बीच चार दिन की कॉल डिटेल्स भी मिली है।
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राजनांदगांव: महक ट्रेडर्स और छत्तीसगढ़ इंटरप्राइजेज ने पाठ्य पुस्तक निगम डिपो के दैनिक मजदूर सारंग ताम्रकर से स्टेट स्कूल गोदाम से 16 टन किताबें खरीदीं। इसके एवज में उन्हें 1.5 लाख रुपए मिले।
धमतरी, सूरजपुर, जशपुर के DEO पर आरोप
अभय कुमार जायसवाल तत्कालीन प्रभारी डीईओ, राजनांदगांव
आरोप: वितरित और शेष पुस्तकों का हिसाब कागजों में मिल रहा है, जबकि ये किताबें कबाड़ में मिली हैं। निगरानी और नियंत्रण का अभाव है। जो ये साबित करता है कि मामले में लापरवाही और मिलीभगत हुई।
क्या कहना है: अभी विभागीय जांच चल रही है। ऐसे में मेरा इस संबंध में कुछ बोलना उचित नहीं होगा।
आदित्य खरे प्रभारी डीईओ, राजनांदगांव
आरोप: आपने पुस्तकों का हिसाब कभी नहीं देखा। मामला सामने आने पर सहायक ग्रेड-3 रामटेके ने कहा कि हिसाब बराबर है और आपने मान लिया। ये सुनियोजित लापरवाही और मिलीभगत दर्शाता है।
क्या कहना है: मामला अगस्त का था। मुझे प्रभारी सितंबर में बनाया गया। वैसे हमारे यहां से कुछ नहीं हुआ। कहां से हुआ है, नहीं पता। डीईओ से बात कर लें।
राम ललित पटेल डीईओ, सूरजपुर
आरोप: मांग पत्र में कुल संख्या 1.9 लाख थी, जबकि किताबें 2 लाख बच्चों के लिए मंगाई गईं। इसकी जांच न कर आपके द्वारा मंजूरी मिलीभगत में शामिल होना दर्शाता है।
क्या कहना है: हमने एक बाबू और दो चपरासियों को सस्पेंड कर दिया है। हमारे यहां पांच लाख अतिरिक्त किताबें आई थीं, जो सुरक्षित रखी हुई हैं। पुरानी किताबें बेची गईं होंगी।
प्रमोद कुमार भटनागर, डीईओ जशपुर
आरोप: अतिरिक्त मांग की 1.58 लाख किताबें जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में आई थीं। इसे आपके कहने पर संकुल में रखा गया। वहां न रजिस्टर मेंटेन हुआ और न सीसीटीवी कैमरे लगाए गए।
क्या कहना है: हमारे यहां का ऐसा मामला नहीं है। किताबें सीधे संकुल भेजी गई थीं। जानकारी न देने की वजह से बाबू रवि बड़ाई को सस्पेंड कर दिया गया है।
टीआर जगदल्ले डीईओ, धमतरी
आरोप: 10 टन किताब सहायक ग्रेड-3 द्वारा बेचने की संभावना नगण्य है। इसमें डीईओ की संलिप्तता दिख रही है। अत: दोनों ने आर्थिक लाभ पाने के लिए सरकारी संपत्ति की चोरी की है।क्या कहना है: सहायक ग्रेड-3 अमन जाचक के द्वारा किताबें बेची गई हैं। मैंने उसे तत्काल निलंबित कर दिया है। किताब मेरी