सिर्फ दिल्ली की सत्ता ही नहीं गंवाई, एक हफ्ते में Arvind Kejriwal को लगे तीन बड़े झटके…

अन्ना आंदोलन से निकलकर सियासी पिच पर उतरने वाले अरविंद केजरीवाल ने जितनी तेजी से बुलंदी को छुआ था. उतनी ही तेजी से अब उनका जादू भी बेअसर हो रहा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार से आम आदमी पार्टी ने सिर्फ सत्ता ही नहीं गंवाई बल्कि अरविंद केजरीवाल की विधायकी भी चली गई. एक हफ्ते में केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को तीन बड़े सियासी झटके लगे हैं, जिसके इफेक्ट से उभरना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा.

दिल्ली चुनाव के बाद पंजाब की सत्ता पर संकट गहराने लगा है, तो दिल्ली के एमसीडी से दो महीने बाद सियासी वर्चस्व खत्म हो सकता है. इस तरह एक के बाद एक सियासी चोट खाने के लिए आम आदमी पार्टी को तैयार रहना होगा? एक हफ्ते में आम आदमी पार्टी को कौन से तीन बड़े झटके लगे हैं, जिसे केजरीवाल की सियासत को बड़े जख्म दे दिए हैं?

AAP को पहला झटका चंडीगढ़ में लगा

आम आदमी पार्टी को सबसे पहला झटका चंडीगढ़ में लगा. 30 जनवरी को चंडीगढ़ की मेयर सीट पर चुनाव हुए थे. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पास मेयर सीट जीतने के लिए पर्याप्त नंबर थे, लेकिन उसके बाद भी जीत नहीं सकी. चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 पार्षद सीटें हैं. जिसमें से आम आदमी पार्टी के पास 13 पार्षद, कांग्रेस के पास 6 पार्षद और बीजेपी के पास 16 पार्षद थे. चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद होने के नाते मनीष तिवारी भी निगम पार्षद में सदस्य है. इस तरह से 36 सदस्यों में से मेयर पद जीतने के लिए 19 वोट की जरूरत बनती है.

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्यों को मिलाकर 20 वोट हो रहे थे. चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में बीजेपी 19 वोट मिले तो आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के प्रत्याशी को 17 वोट ही मिल सके. इस तरह नंबर गेम होने के बाद भी आम आदमी पार्टी अपने मेयर नहीं जिता सकी, क्योंकि उसके तीन पार्षदों ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग किया. नंबर होने होने के भी मेयर सीट आम आदमी पार्टी का नहीं जीतना बड़ा झटका था. अब पार्टी में भीतर उथल-पुथल मच गई है. दिल्ली की हार का सीधा असर चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के राजनीतिक भविष्य पर पड़ेगा. आम आदमी पार्टी के अंदर भी पार्षदों को शक की नजर से देखा जा रहा है कि किसने वोट क्रॉस की है.

दिल्ली चुनाव में AAP को मिली करारी हार

दिल्ली की सियासत में 2015 और 2020 में क्लीन स्वीप करने वाली आम आदमी पार्टी को 2025 के चुनाव में करारी मात खानी पड़ी है. 2015 में आम आदमी पार्टी ने 67 सीटें जीती थी और 2020 में 63 सीटें जीतने में सफल रही थी, लेकिन 2025 में सिर्फ 22 सीट पर ही सिमट गई है. 11 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रही आम आदमी पार्टी को चुनावी मात ही नहीं खानी पड़ी बल्कि सत्ता से भी बेदखल हो गई है. इस तरह से आम आदमी पार्टी जिस विकास मॉडल को सहारे राष्ट्रीय स्तर पर अपने सियासी पैर पसारने में जुटी हुई थी, लेकिन चुनावी शिकस्त मिलने के बाद उसके अरमानों पर पानी फिर सकता है. ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव की हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

केजरीवाल की हार से लगा तीसरा झटका

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता ही नहीं गंवाई बल्कि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी सीट भी नहीं जीत सके. नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल को बीजेपी के प्रत्याशी प्रवेश वर्मा ने करारी मात दी. केजरीवाल की हार आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका है, जिसके चलते ही पार्टी के जीते कई विधायकों ने जीत का जश्न तक नहीं मनाया. केजरीवाल ही नहीं बल्कि उनके कई मजबूत सिपहसलार विधानसभा नहीं पहुंच सके, जिसमें मनीष सिसोदिया से लेकर सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती, दुर्गेश पाठक, आदिल खान, सत्येंद्र जैन और दिनेश मोहनिया जैसे नेताओं को मात खानी पड़ी है. इस तरह आम आमी पार्टी की टॉप लीडरशिप विधानसभा नहीं पहुंच सकी है. ये आम आदमी पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

एक के बाद एक हार से कैसे हिल गई AAP

आम आदमी पार्टी एक के बाद एक मिली हार से पूरी तरह हिल गई है. एक सप्ताह में तीन बड़े झटके आम आदमी पार्टी को लगे हैं, जिसके सियासी झटके का असर सिर्फ दिल्ली की सत्ता पर ही नहीं बल्कि एमसीडी पर भी पड़ेगा तो पंजाब की सियासत में भी चिंता बढ़ाएगा. विधानसभा चुनाव हारने का पहला इफेक्ट एमसीडी पर पड़ेगा, जहां पर दो महीने के बाद अगले मेयर का चुनाव होना है. बीजेपी की पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनी है, जिसके चलते विधानसभा स्पीकर बीजेपी का ही होगा.

विधानसभा स्पीकर अपने विवेक पर 14 विधायकों को नगर निगम के सदस्य के रूप में मनोनीत करते हैं. अभी तक की परंपरा रही है कि सत्ता पर काबिज पार्टी के विधायकों ही मनोनीत किया जाता रहा है. स्पीकर अगर 14 मनोनीत सदस्यों में 13 विधायक भी बीजेपी के नगर निगम में मनोनीत होते हैं, तो भी पार्टी एमसीडी का बहुमत हासिल कर लेगी. इस तरह बीजेपी बिना किसी तोड़फोड़ के अप्रैल में अपना मेयर बना लेगी. इसके अलावा दिल्ली से आम आदमी पार्टी के चुने जाने वाले राज्यसभा सदस्यों के चुनाव पर भी पड़ेगा.

AAP अब केवल एक ही सदस्य भेज पाएगी राज्यसभा

आम आदमी पार्टी पिछले दो बार से तीनों राज्यसभा सीटों पर अपने सदस्यों की भेजती रही है, लेकिन अब चुनावी नतीजे के लिहाज से बीजेपी दो और आम आदमी पार्टी के एक ही सदस्य जीत सकता है. इसके अलावा पंजाब की सियासत पर आम आदमी पार्टी को अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखनी चुनौती खड़ी हो गई है. ऐसे में कांग्रेस ने कहना शुरू कर दिया है कि आम आदमी पार्टी के 30 विधायक उनके संपर्क में है. कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने दावा कि आम आदमी पार्टी पंजाब में टूट जाएगी और भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल के बीच सत्ता संघर्ष होगा.