दुर्ग,09 फ़रवरी 2025 (वेदांत समाचार) l जिला अस्पताल में प्रसव के बाद हिंदू और मुस्लिम मां का बच्चा बदल गया। DNA रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो गया कि अस्पताल में वास्तव में बच्चों की अदला-बदली हुई थी। रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से दोनों बच्चों को उनके असली माता-पिता को सौंप दिया है।
मामला पिछले 8 दिनों से सुर्खियों में था। दो परिवारों-कुरैशी और सिंह ने अस्पताल प्रशासन पर यह आरोप लगाया था कि उनके नवजात शिशुओं की अदला-बदली कर दी गई है। इस घटना के बाद से दोनों परिवारों में तनाव बना हुआ था, और वे अपने असली बच्चों को पाने के लिए जिला प्रशासन से न्याय की मांग कर रहे थे।
दोनों परिवारों की मौजूदगी में लिफाफा खोला गया
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने DNA परीक्षण का फैसला लिया। DNA जांच के लिए दोनों नवजात शिशुओं और उनके संभावित माता-पिता के सैंपल लिए गए। इसके बाद, बाल कल्याण समिति के पास DNA रिपोर्ट बंद लिफाफे में पहुंची, जिसे दोनों परिवारों की मौजूदगी में लिफाफा खोला गया।
रिपोर्ट में पता चला कि वास्तव में बच्चों की अदला-बदली हुई थी। दोनों बच्चों को उनके असली माता-पिता को सौंप दिया गया है। इस फैसले के बाद दोनों परिवारों में खुशी की लहर दौड़ गई और उन्होंने जिला प्रशासन को धन्यवाद दिया।
बच्चों को सही माता-पिता को सौंप दिया गया
बच्चों के सही माता-पिता को मिलने के बाद दोनों परिवारों ने राहत की सांस ली। साधना सिंह ने कहा कि ‘हमें हमारे बच्चे से अलग होने का जो दर्द मिला, वह अब खत्म हो गया है। हम प्रशासन के शुक्रगुजार हैं।’ वहीं, मोहम्मद अल्ताफ ने भी DNA जांच के फैसले की सराहना की और कहा कि यह सही निर्णय था जिससे सच्चाई सामने आ सकी।
वहीं मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज दानी ने कहा कि बच्चों को सही माता-पिता को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता परिवारों को उनके असली बच्चे सौंपना था, और यह सुनिश्चित किया गया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ हो। इस मामले में जो भी दोषी होगा उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अब जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, 23 जनवरी 2024 को जिला अस्पताल के मदर चाइल्ड वार्ड में दोनों बच्चों का जन्म हुआ था। सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू के मुताबिक, शबाना कुरैशी पति अल्ताफ कुरैशी ने दोपहर 1.25 बजे बेटे को जन्म दिया।
इसके बाद साधना सिंह ने भी दोपहर 1:32 बजे बेटे को जन्म दिया। दोनों बच्चे का जन्म 7 मिनट के अंतर में हुआ। जिला अस्पताल में नवजात शिशुओं की पहचान के लिए जन्म के तुरंत बाद उनके हाथ में मां के नाम का टैग पहनाया गया। दोनों प्रसूताओं की बच्चे के साथ फोटो खींची गई।
बताया जा रहा है कि बच्चों को नहलाने के बाद शबाना का बच्चा साधना और साधना का बच्चा शबाना के पास पहुंच गया। इसके करीब 3 दिन बाद दोनों प्रसूताओं को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
बच्चे के चेहरे पर तिल का निशान नहीं था
शबाना कुरैशी के भाई आमिर खान का कहना था कि, जन्म के समय अस्पताल की ओर से मां के साथ बच्चे की फोटो ली जाती है। वो फोटो बाद में परिजनों को दी जाती है, जो फोटो शबाना को दी गई है, उसमें बच्चे के चेहरे पर कहीं भी तिल का निशान नहीं था, जबकि उनके पास जो बच्चा है, उसके चेहरे पर तिल का निशान था।
सिविल सर्जन ने थाने में दी सूचना
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू ने मामले की सूचना कोतवाली थाने में दी। वहीं, शबाना के परिजनों ने भी थाने में शिकायत की। मामला नहीं सुलझा तो DNA टेस्ट कराए जाने का फैसला लिया गया।
कलेक्टर से शिकायत, बनी जांच समिति
मुस्लिम परिवार ने कलेक्टर से शिकायत की। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने डिप्टी कलेक्टर एम भार्गव के नेतृत्व में एक जांच टीम गठित की थी। फिलहाल, अधिकारियों का कहना है कि मामले में जांच की जा र
मुस्लिम परिवार के मुताबिक घर जाने के बाद शबाना कुरैशी बच्चे को नहला रही थी, तभी उसने देखा कि बच्चे के हाथ में लगे टैग में बेबी ऑफ साधना लिखा हुआ है, जिससे उसे बच्चा बदलने का शक हुआ। इसकी जानकारी शबाना ने अपने परिवार को दी।
उसने बताया कि, जन्म के समय खींची गई तस्वीर से उसके बच्चे का मिलान नहीं हो रहा है। फोटो में साधना के बच्चे के शरीर में बर्थ मार्क था। वहीं, बर्थ मार्क शबाना को दिए गए बच्चे में दिखा। इसके बाद परिजनों ने जिला अस्पताल पहुंचकर मामले की शिकायत की।