उत्तराखंड ,05 फरवरी 2025:एक वर्ष पहले दुखद हादसे में उत्तराखंड राज्य में तेज़ रफ़्तार ट्रेन ने मादा हथिनी और उसकी 9 महीने की बच्ची को टक्कर मार दी थी। जिसके कारण हथिनी की स्थान पर ही मृत्यु हो गई और उसकी बच्ची गंभीर रूप से घायल होकर बगल के खेत में जा गिरी। ‘बानी’ नाम की यह बच्ची जो उस समय 9 महीने की थी, उसको पीठ में लकवा मार गया और उसे मथुरा में स्थित भारत के पहले हाथी अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था। आयुर्वेद और एक्यूपंक्चर के अलावा, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों के परामर्श से महत्वपूर्ण देखभाल प्रदान किए जाने के बाद, बानी में सुधार हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप आज बानी ने अस्पताल परिसर में एक साल पूरा कर लिया है।
चलने में हुई सक्षम
एक भयानक और संभावित रूप से जीवन-घातक ट्रेन दुर्घटना में घायल होने के बाद, पशु चिकित्सकों और देखभाल करने वालों की वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के अथक प्रयासों के फलस्वरूप बच्ची बानी चमत्कारिक रूप से ठीक हो रही है। स्पास्टिक पैरापैरेसिस, या पीठ और पिछले अंगों में सीमित गतिशीलता से पीड़ित, संस्था की पशु चिकित्सा टीम ने बानी को ठीक होने में मदद करने के लिए आयुर्वेद, हाइड्रोथेरेपी और यहां तक कि एक्यूपंक्चर सहित कई उपचार विधियों का प्रयोग किया है। हफ्तों की तेल मालिश और हाइड्रोथेरेपी पूल के उपयोग के बाद, बानी आखिरकार खड़ी होने में सक्षम हो गई है। वह अब कम दूरी तक चलने और अपने आस-पास की हरियाली को जानने में सक्षम हो गई है ल
पैरों में बांधे जूते,मिट्टी के गड्ढे में रखा जा रहा
बानी की चाल असामान्य है जो उसके चलने की दूरी को सीमित कर देती है। वर्तमान में बानी के पैरों की सुरक्षा के लिए उसे पिछले पैरों में खासतौर पर बनाए गए जूते भी पहनाए जाते हैं। इस जीवंत और उत्साही बछड़े को व्यस्त रखने के लिए कई कर्मी उसके पर्याप्त पोषण और देखभाल का चौबीसों घंटे ध्यान रखते हैं। देखभाल करने वालों ने बानी के लिए एक मिट्टी का गड्ढा बनाया है, जहाँ वह मिट्टी से खेलना पसंद करती है, क्योंकि मिट्टी से स्नान करना उसकी पसंदीदा गतिविधियों में से एक है।
बानी की कहानी और उसकी स्थिति रेलवे लाइनों और ट्रेन दुर्घटनाओं से होने वाली गंभीर समस्याओं है। इसे ध्यान में रखते हुए, वाइल्डलाइफ एसओएस ने याचिका की शुरुवात की है। जिसकी मदद से वे भारतीय रेलवे से अपील करते हैं कि हाथियों की सुरक्षा के लिए जंगलों में ट्रेन की गति कम करने और संवेदनशील क्षेत्रों में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने जैसे उपाय लागू किए जाएं।
हाथी के भारत में पहला एक्यूपंक्चर उपचार का मामला
वाइल्डलाइफ एसओएस की पशुचिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलियाराजा ने बताया बानी के लिए कई रचनात्मक एनरिचमेंट तैयार किए हैं। ताकि उसकी मांसपेशियां लगातार सक्रिय रहें और उसके चलने-फिरने में कोई रुकावट न हो। उसके उपचार में तेजी लाने के लिए हर तरह के प्रयास किए है, जिसमें एक एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ को बुलाना और भारत में पहला एक्यूपंक्चर उपचार एक हाथी पर करना शामिल है।
बानी की ताकत अन्य हाथियों के लिए बन रही प्रेरणा
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा बानी अपनी देखरेख करने वाले और वाइल्डलाइफ एसओएस स्टाफ के साथ एक विशेष बंधन साझा करती है। उसकी ताकत संस्था में सभी निवासी हाथियों के लिए प्रेरणा बन गई है। यह सिर्फ उत्सव की शुरुआत है, और पूरा केंद्र खुशी से भर गया है क्योंकि हम उसकी यात्रा और भावना का सम्मान करते हैं।