इसरो का 100वां मिशन संकट में, लॉन्च किया गया नेविगेशन सैटेलाइट तकनीकी गड़बड़ी का हुआ शिकार

नईदिल्ली,03 फरवरी 2025 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब तक अंतरिक्ष में कई बार अपनी सफलता का परचम फहरा चुका है. हालांकि, इसरो का सौवां रॉकेट मिशन संकट में फंस गया है. इससे लॉन्च किया गया नेविगेशन सैटेलाइट तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हो गया है. इसरो ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है, क्योंकि थ्रस्टर को फायर करने के लिए जरूरी ऑक्सीडाइजर को प्रवेश देने वाले वॉल्व खुले ही नहीं.

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब इसरो के सामने दिक्कत आई है. पहले भी ऐसी दिक्कतें आती रही हैं तो बड़े-बड़े मिशन में सफलता भी मिली है. आइए जान लेते हैं इसरो के पांच सफल और पांच असफल मिशन.

इसरो के सफल मिशन

1- साल 1975 में आर्यभट्ट उपग्रह से की शुरुआत

महान भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर इसरो ने आर्यभट्ट नाम का पहला भारतीय उपग्रह तैयार किया था. इसके निर्माण से लेकर डिजाइन तैयार करने और संयोजन का काम पूरी तरह से भारत में ही किया गया था. 360 किलो से अधिक वजनी इस उपग्रह को 19 अप्रैल 1975 को रूस की मदद से वोल्गोग्राड लॉन्च स्टेशन से लॉन्च किया गया था. इसे सोवियत कोस्मोस-3एम रॉकेट से लॉन्च किया गया था. इसी से इसरो के सफल मिशनों की राह खुली थी.

2- इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम (इनसैट)

इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम (इनसैट) आज एशिया-प्रशांत क्षेत्र का सबसे बड़ा घरेलू संचार उपग्रह सिस्टम है. इसकी शुरुआत साल 1983 में की गई थी. यह टीवी प्रसारण, सामाजिक अनुप्रयोग, मौसम के पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी, खोज और बचाव की गतिविधियों में सहायता प्रदान करता है.

3- चांद पर रखा भारत ने कदम

इसरो ने भारत को चांद पर पहुंचाने के लिए 22 अक्तूबर 2008 को चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था. चंद्रयान-1 ने 8 नवंबर 2008 को सफलतापूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश किया था. चंद्रयान-1 ने चांद की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर इसकी परिक्रमा करने के साथ ही रासायनिक, खनिज विज्ञान और फोटो-जियोलॉजिकल मैपिंग की.

4- जब मंगल पर पहुंचा भारत

भारत को अपने पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचाने में भी इसरो ने सफलता हासिल की थी. मंगल ऑर्बिटर मिशन यानी MOM भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था. इसके लिए 5 नवंबर 2013 को मंगलयान को श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी25 रॉकेट से लॉन्च किया गया था. इसमें सफलता मिलने के साथ ही मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान लॉन्च करने वाला इसरो चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गया था. इस मिशन की अवधि छह महीने ही थी पर उसके बाद भी सालों तक MOM कक्षा में स्थापित रहा और काम करता रहा.

5- चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग

23 अगस्त 2023 को इसरो ने चंद्रमा पर एक और इतिहास रचा. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान उतारने में सफल भारत पूरी दुनिया में पहला देश बन गया. इसके अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने में सफल चौथा देश बन गया.

इसरो के असफल मिशन

1- रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड

10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया रोहिनी टेक्नोलॉजी पेलोड वास्तव में इसरो के असफल मिशन की सूची में शामिल है. 35 किलोग्राम के इस उपग्रह को इसरो के वैज्ञानिक कक्षा में स्थापित नहीं कर पाए थे. रोहिनी टेक्नोलॉजी पेलोड ले जाने के लिए एसएलवी3 का इस्तेमाल किया गया था और यह एसएलवी-3 की पहली उड़ान थी. इस असफलता के बाद पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि इसने सिखाया कि जब भी आप फेल होते हैं तो जिम्मेदारी टीम लीडर लेता है. आप जब सफल होते हैं तो पूरी टीम को श्रेय दिया जाता है.

2- चंद्रयान-2 से संपर्क टूटा

चंद्रयान-3 से पहले भारत ने एक और मिशन किया था, जिसमें आंशिक सफलता मिली थी. चंद्रयान-1 से संपर्क खत्म होने के 10 साल बाद इसरो ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 लॉन्च किया था. इसरो के वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ी चुलैनौती थी, क्योंकि चंद्रयान-2 के लैंडर को दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था. 7 सितंबर 2019 को एकदम आखिर में लैंडर विक्रम का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था. हालांकि, यह मिशन पूरी तरह से असफल नहीं था. फिर इसके बाद ही भारत ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने में सफलता हासिल की और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बना था.

3- एएसएलवी-डी1 मिशन भी फेल

इसरो का ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी)डी1 मिशन भी फेल हो गया था. यह 24 मार्च 1987 को वैज्ञानिक उपकरणों के साथ-साथ एसआरओएए-1 सैटेलाइट ले जाने वाली पहली डेवलपमेंटल फ्लाइट थी. हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली थी.

4- पीएसएलवी-सी39 की असफल उड़ान

पीएसएलवी-सी39 की उड़ान भी असफल रही थी. यह 41वीं उड़ान 31 अगस्त 2017 की शाम तो सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुरू की गई थी. हालांकि, इस मिशन में तय प्लान के अनुसार हीट शील्ड सेपरेशन में सफलता नहीं मिल पाई थी. इसी के कारण यह मिशन असफल हो गया था.

5- जीएसएलवी-एफ2 नहीं पूरा कर सका मिशन

जीएसएलवी-एफ2 को भी श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. यह लॉन्च व्हीकल अपना मिशन पूरा नहीं कर सका थास जिसके कारण इनसैट 4सी मिशन असफल रहा था. इसी तरह से जीएसएलवी-डी-3 वास्तव में जीओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल की छठी और तीसरी डेवेलपमेंटल फ्लाइट थी. इसमें जीएसएलवी को 2220 किलोग्राम का एक प्रयोगात्मक टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन उपग्रह जीएसएटी-4 लॉन्च करना था. हालांकि, यह मिशन सफल नहीं हुआ था.