जल्द मिलेगी कोवैक्सीन को WHO से मान्यता, प्री-सबमिशन मीटिंग 23 को

0 भारत बायोटेक के इओआई को डब्ल्यूएचओ ने स्वीकारा


नई दिल्ली । भारत में निर्मित स्वदेशी कोविड टीके कोवैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी के अनुसार कोवैक्सिन को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) से जल्द ही मान्यता मिल सकती है। बताया जा रहा कि कोवैक्सीन को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (इओआई) को डब्ल्यूएचओ ने स्वीकार लिया है। उल्लेखनीय है कि कोवैक्सिन को डब्लूएचओ से मान्यता दिलाने के लिए भारत बायोटेक ने 19 अप्रैल को इओआई सबमिट किया था। इस मामले में अब प्री-सब्मिशन की बैठक 23 जून को होगी।

क्यों जरूरी है कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की मान्यता?


विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से महामारी जैसी हेल्थ इमरजेंसी में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बनी दवाओं, मशीनों और अन्य उत्पादों की सेफ्टी को जांचा जाता है। इसी जांच के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन को इमरजेंसी हालात में प्रयोग करने की मान्यता दी थी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, आपातकालीन स्थिति में यह जरूरी है कि दवाओं, टीकों और स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादों का निर्माण जल्द से जल्द हो, लेकिन इन्हें अप्रूव करना जरूरी है। एप्रूवल के लिए टीके को सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों पर खरा होना चाहिए।


वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर हैं अड़चनें


गौरतलब है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संकेत दिया था कि जी-7 सम्मेलन के दौरान वैक्सीन पासपोर्ट को लेकर सहमति बनाने के प्रयास किए जा सकते हैं। वैक्सीन पासपोर्ट से जुड़ा यह प्रस्ताव विदेशी यात्रा को आसान बनाएगा, लेकिन इसमें अभी कई अड़चनें हैं। कई विदेशी विश्वविद्यालय और देशों ने ऐसे नियम बनाए हैं कि डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्या प्राप्त कोविड टीकों को लगवा चुके लोग ही बिना किसी पाबंदी के विदेश यात्रा कर सकेंगे। इन नियमों से सबसे ज्यादा प्रभावित विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले वे भारतीय छात्र होंगे, जिन्होंने कोवैक्सिन का टीका लगवाया है क्योंकि कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से मान्यता नहीं मिली है। 


कोवैक्सिन को कब तक मिल सकती है मान्यता


सूत्रों के अनुसार कोवैक्सिन को जुलाई से सितंबर के बीच डब्ल्यूएचओ से इमरजेंसी हालात में प्रयोग की मंजूरी मिल सकती है। कंपनी ने बताया है कि कोवैक्सीन को अब तक 13 देशों में प्रयोग करने की मंजूरी मिल गई है और 60 देशों में रेगुलेटरी अप्रूवल्स के लिए प्रॉसेस जारी है। इन 60 देशों में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक अमेरिका और ब्राजील भी शामिल हैं।

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