कोरबा,20 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। एक बेटी ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना लिवर डोनेट किया। यह एक ऐसी कहानी है जो पिता-पुत्री के प्यार और बलिदान की मिसाल पेश करती है।
रमेश चतुर्वेदी नामक एक व्यक्ति बीते एक साल से लिवर की बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बेटी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी ने अपने पिता की जान बचाने के लिए अपना लिवर डोनेट किया।
डॉ. प्रतिभा ने बताया कि जब डॉक्टर्स ने बताया कि अब लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है, तो उन्होंने अपना लिवर डोनेट करने का निर्णय लिया।
इस प्रक्रिया में डॉ. प्रतिभा ने अपने पिता को 60 फीसदी लिवर डोनेट किया। यह एक जोखिम भरा ऑपरेशन था, लेकिन डॉ. प्रतिभा ने अपने पिता की जान बचाने के लिए यह खतरा उठाया।
आज, रमेश चतुर्वेदी स्वस्थ हैं और अपनी बेटी के बलिदान के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। यह एक ऐसी कहानी है जो पिता-पुत्री के प्यार और बलिदान की मिसाल पेश करती है।
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समर्थन कितना महत्वपूर्ण है। डॉ. प्रतिभा का यह बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सबसे बड़ा उपहार प्यार और समर्थन है।