पौष मास में इन बातों का रखें ध्यान, रहें स्वस्थ – डॉ. नागेन्द्र शर्मा

कोरबा, 17 दिसंबर (वेदांत समाचार)। हिंदी मासानुसार पौष (पूस) माह का आरंभ 16 दिसंबर 2024 सोमवार से हो गया है। जो 13 जनवरी 2025 सोमवार तक रहेगा। आयुर्वेद अनुसार प्रत्येक माह में विशेष तरह के खान-पान का वर्णन किया गया है जिसे अपनाकर हम स्वस्थ रह सकते हैं। इसी विषय पर छत्तीसगढ़ प्रांत के ख्यातिलब्ध आयुर्वेद चिकित्सक नाड़ी वैद्य डॉ.नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया की भारतीय परंपरा में ऋतुचर्या यानी ऋतुनुसार आहार-विहार करने की परंपरा रही है। यह संस्कार हमें विरासत में मिला है। अभी पौष (पूस) मास का आरम्भ 16 दिसंबर 2024 सोमवार से हो गया है। जो 13 जनवरी 2025 सोमवार तक रहेगा। इस अंतराल में हमें अपने आहार-विहार पर विशेष ध्यान देना चाहिये।पौष (पूस) मास में हवाएँ अत्यधिक ठंडी हो जाती है जिससे वातावरण भी अत्यधिक ठंडा हो जाता है।

इस माह में वातावरण मे कोहरा छाया रहता है। पौष (पूस) मास हेमंत ऋतु का अंतिम माह है इस माह में दिन छोटे और रात्रि लंबी होती है। वर्ष का सबसे छोटा दिन 21 दिसंबर भी इसी माह में पड़ता है। पौष (पूस) मास में कफ का संचय और वात दोष का प्रकोप होता है। जिससे वातकफ जन्य रोग संधिशूल, संधिशोथ, श्वास-कास, प्रतिश्याय, वातश्लैष्मिक ज्वर एवं त्वचा संबंधी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। पौष (पूस) मास में वात का शमन करने हेतु गुरु आहार का सेवन करना चाहिये। पौष (पूस) मास में मधुर रस की प्रभुता होती है। ऐसे में हमे मधुर, अम्ल, लवण रस युक्त स्निग्ध खाद्य पदार्थों और शरीर में ऊर्जा प्रदान करने वाले पौष्टिकता से युक्त आहार का सेवन करना चाहिये। वातवर्धक खाद्य पदार्थों, अतिशीत खाद्य पदार्थ, रुक्ष एवं लघु आहार तथा कटु तिक्त कषाय रस युक्त आहार से परहेज करना चाहिये।

इस माह में धनिये का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिये इससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस माह में स्निग्ध आहार दूध एवं मेवे (ड्राई फ्रूट्स) का सेवन करना हितकारी होगा। साथ ही चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना अत्यंत हितकारी होगा। पौष (पूस) माह ऋतुनुसार हेमंत ऋतु का अंतिम माह है। हेमंत ऋतु शक्ति को संचय करने की ऋतु मानी गई है। अत: इस माह मे आयुर्वेदिक रसायन औषधि यथा च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाक, बादाम पाक, आंवला, शतावर, विदारीकंद, अकरकरा, गोंद के लड्डु आदि का प्रकृति एवं नियमानुसार सेवन कर वर्षभर के लिये शक्ति को संचित कर वर्षभर आरोग्य रहा जा सकता है।


आहार-
क्या खाना चाहिये- स्निग्ध आहार, दूध, मेवा (ड्राई फ्रूट्स) गुड़, अजवाइन, लौंग,अदरक, गेहूं, चावल, जौ, तिल

क्या नहीं खाना चाहिये- मांस-मदिरा, बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूल गोभी, उड़द की दाल, चीनी एवं अत्यधिक तला हुआ भोजन

जीवनशैली-
क्या करें- अभ्यंग (तेल मालिश), स्निग्ध पदार्थों का उबटन एवं आतप स्नान (धूप सेवन) करना चाहिये। यथाशक्ति शारीरिक व्यायाम करना चाहिये । शरीर को ढककर रखना चाहिये। हल्के गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिये।

क्या न करें- इस माह में दिन मे शयन करने से, रात्रि जागरण करने से, बेसमय स्नान एवं तीव्र हवाओं के संपर्क में आने से बचाव करना चाहिये।