बालको, 13 दिसंबर 2024। बालको स्थित श्री राम मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास आंच आचार्य श्री रामप्रताप शास्त्री जी महाराज ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि रास लीला जीव का परमात्मा के मिलन की कथा है, जो काम को बढ़ाने की नहीं बल्कि काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया, लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया और उसे ही परास्त होना पड़ा।
कथा व्यास ने आगे बताया कि रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब तक जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाते हैं, लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है, तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं और उसे दर्शन देते हैं।
कथा के दौरान, भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ। लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया।
कथा व्यास ने समझाया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नहीं, तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है।