कोरबा 12 जून ( वेदांत समाचार) कोरबा जिले में राज्य शासन की बहुत ही सराहनीय और महत्वपूर्ण योजना जो कि शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मुफ्त में गणवेश दिया जाता है पर इस योजना कि जिले में पानी फिरता नजर आ रहा है। जिले में हर साल प्रत्येक शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को मुफ्त में गणवेश प्रदान किया जाता है इसका ताजा उदाहरण हमे नदी और नालों में छात्राओं के गणवेश हजारों की तादाद में फेंका जा रहे हैं। यह बहुत ही निंदनीय है अब देखना ये है कि इस इस संबंध में उच्च अधिकारियों डरा कोई संज्ञान लिया भी जाएगा की यह पूरा मामला सिर्फ शोशल मीडिया में समेटकर ही रह जाएगा?
अभी कुछ दिनों पहले ही जिले में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ बड़ा ही भद्दा मजाक हुआ है। उन्हें बांटने के लिए आये गणवेश और पुस्तकों के कोरबा खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ बाबू धीरज आर्या के निर्माणाधीन मकान में मिलने का मामला अभी जांच में है वहीं एक नाला में 500 से 700 की संख्या में बच्चों के बिल्कुल नए गणवेश गट्ठर की शक्ल में फेंकने के मामले ने सनसनी फैला दी है। आखिर सरकारी स्कूल के बच्चों के गणवेश के साथ ऐसा कार्य क्यों, किसलिए, किसके द्वारा, किसके इशारे पर किया जा रहा है?
कोरबा जिला मुख्यालय से लगे ग्राम नकटीखार के पिकनिक स्थल नाले में बच्चों को बांटे जाने वाले यूनिफार्म का गठ्ठा पानी में बहता हुआ स्थानीय युवको द्वारा देखा गया। उत्सुकतावश पास जाकर देखा तो सभी कपड़े बिल्कुल नए निकले।
आश्चर्य है कि योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में खनिज संस्थान न्यास की भारी-भरकम राशि से परिपूर्ण और आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल कोरबा में आखिर सरकारी धन का इस तरह दुरुपयोग क्यों किया जा रहा है? इस तरह के मामले में दुर्भाग्य जनक यह भी है कि जिले के निर्वाचित/मनोनीत जनप्रतिनिधियों से लेकर विपक्ष की भूमिका किसी भी सूरत में ईमानदाराना नहीं दिखती। मामले भ्रष्टाचार के हों या शासन के रुपयों की बर्बादी का न तो जनप्रतिनिधि खबरों के जरिए संज्ञान में लाए जाने के बाद भी रुचि दिखाते और ना ही विपक्ष इन मुद्दों को गंभीरता से लेता है। इन्हीं वजहों से शासन की जहां किरकिरी होती है वहीं विपक्ष की कमजोर भूमिका पर भी सवाल उठते हैं।
इस मामले में युवा नेता मनीराम जांगड़े ने कहा है कि यह राज्य शासन की बहुत ही सराहनीय और महत्वपूर्ण योजना जो कि शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को मुफ्त में गणवेश दिया जाता है. लेकिन नदी- और नालों में इस प्रकार से गणवेश को फेंका जाना बहुत ही निंदनीय है। इस संबंध में मैं उच्च अधिकारियों से जांच की मांग करता हूं और जिस किसी भी शासकीय कर्मचारी के द्वारा उक्त कृत्य किया गया है, उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए दंडित किया जाए।
[metaslider id="347522"]