रायपुर । छत्तीसगढ़ में सरकार के ढाई साल का कार्यकाल पूर्ण होने जा रहा है। इसी सिलसिले में शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ढ़ाई साल की विफलताओं पर पत्रकारों से चर्चा की। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का आधा कार्यकाल ख़त्म हुआ, अब इस सरकार की उल्टी गिनती पूरी तरह शुरू हो गई है। ढाई वर्ष का यह कालखंड जनता से किये सभी वादे को तोडऩे, धोखाधड़ी, विश्वासघात और अराजकता के काले अध्याय के रूप में ही जाना जाएगा। पवित्र गंगाजल हाथ में ले कर किये गए तमाम घोषणाओं की जिस तरह इस सरकार ने अवहेलना की है, वैसा अन्य उदाहरण देश में कोई और नहीं है।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, कांग्रेस की विफलताओं की गाथा अनंत है। शराब के मामले में इस सरकार का जो आचरण रहा है, उसकी जितनी भत्र्सना की जाय, वह कम है। अक्सर ऐसा लगा कि शराब बेच कर अवैध कमाई करना ही सरकार का अकेला लक्ष्य रह गया है। पूर्ण शराबबंदी का वादा करने वाली सरकार ने शराब को होम डिलीवरी शुरू कर दी, इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है? इसके प्रदेश में इतने दुष्प्रभाव रोज दिख रहे हैं। अभी-अभी महासमुंद में एक ही परिवार में छ: आत्महत्या की ह्रदय विदारक ख़बरें आई, जिसके मूल में भी शराब को ही कारण बताया जा रहा है। नकली शराब पीने से हुई मौतों को बहाना बना कर शासन ने इस कोरोना काल में दोबारा शराब की होम डिलीवरी शुरू कर दी। अब शराब के ऐसे दुष्प्रभावों पर भी इन्हें शर्म नहीं आयेगी? कोरोना के कठिन समय में जब व्यक्ति इलाज के लिए परेशान था, तब दवा के बदले दारू घर-घर पहुचाना जिस शासन की प्राथमिकता हो, उसे और क्या कहें?
शान्ति का टापू रहा अपना छत्तीसगढ़ देखते ही देखते अपराधगढ़ में बदल गया है। प्रदेश को अराजकता और अत्याचार का पर्याय बना दिया गया है। रोज यहां औसतन 7 बलात्कार हो रहे। शासन के ही आंकड़े के अनुसार पिछले दो वर्ष में प्रदेश में 1828 हत्या, 1281 हत्या के प्रयास, 4939 बलात्कार, 12862 चोरी, 133 डकैती और 855 लूटपाट के मामले दर्ज किये गए हैं। यह तो किसी भी तरह दर्ज हो गए मामले हैं, इससे कई गुना मामले ऐसे होंगे जो दर्ज ही नहीं हो पाए हैं। मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के विधानसभा क्षेत्र पाटन के बठेना गांव में एक ही परिवार के पांच व्यक्ति के संदिग्ध मृत्यु, घर से पांच पृष्ठ का एक सुसाइड नोट भी बरामद होने का पुलिस ने दावा किया, जिसमें कथित तौर पर कर्ज और सूदखोरों की ओर से मिल रही प्रताडऩा का जिक्र है, इससे पहले दुर्ग जिले के खुड़मुड़ा गांव में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या हो गई थी।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र का संरक्षण प्राप्त कोरवा जनजाति की नाबालिग बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म और पिता-बहन समेत उनकी नृशंस ह्त्या कर दी गई। जशपुर की बेटी को छ: बार अलग-अलग लोगों के हाथ बेचना और आजिज आ कर सातवीं बार में अंतत: युवती ने आत्महत्या कर ली। केशकाल में नाबालिग आदिवासी किशोरी का 7-7 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। कहीं से न्याय नहीं मिलने पर उसने आत्महत्या भी कर ली। किशोरी के पिता ने भी आत्महत्या की कोशिश की, तब मामला फूटा। इससे पहले प्रदेश के सरगुजा संभाग के धरमजयगढ़ में कांग्रेस नेता और पूर्व जनपद सदस्य, कोल माफिया अमृत तिर्की द्वारा किये दुष्कर्म की बात हो, सुकमा, रायगढ़, बलरामपुर आदि की नृशंस घटना हो। नर्रा, महासमुंद में हुए वारदात की बात हो या अन्य हज़ारों मामले, कहीं भी शासन के किसी जिम्मेदार व्यक्ति को फर्क नहीं पड़ा।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, जबकि हालात आज यह हैं कि प्रदेश रोज करोड़ों का कर्जदार बनाया जा रहा है। इस सरकार ने हर महीने हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लेकर हम सबको हमेशा के लिए कर्जदार बना दिया है। कहां तो किसानों को कर्ज मुक्त करने की बात थी, कहां पूरे प्रदेश को ही कर्ज के जाल में उलझा दिया। राज्य की प्रतिभूति को भी नीलाम कर दिया।
भाजपा ने 15 साल में 33 हजार करोड़ का कर्ज लिया, लेकिन कांग्रेस सरकार ने 30 महिने में ही 36 हजार 170 करोड़ का कर्ज लिया। इस वित्तीय वर्ष में भी सरकार 18 हजार करोड़ कर्ज लेगी। यानि 5 साल में छत्तीसगढ़ को कांग्रेस सरकार 1 लाख 30 हजार करोड़ का कर्जदार बना देगी।
डॉ. रमन सिंह ने कहा, पूरे प्रदेश की जमीन नीलाम कर रही। घोषणा पत्र में स्पष्ट वादा करने के बावजूद किसानों के दो साल के बकाये बोनस का भुगतान नहीं किया। धान का रकबा लगातार मनमाने तरीके से कम किया जा रहा है। किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। पिछले ढाई वर्षों में करीब 300 किसानों ने आत्महत्या की है। केवल 10 महीने में 141 किसानों की आत्महत्या की बात तो शासन ने स्वीकारी है, लेकिन किसी को भी कोई मुआवजा नहीं दिया गया। रकबा कटौती के कारण कांग्रेस अध्यक्ष के क्षेत्र कोंडागांव के किसान धनीराम मरकाम की दुखद ह्त्या या नकली कीटनाशक से हुई खराब फसल के कारण, कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्या आदि की लगातार आ रही ख़बरों ने प्रदेश को शर्मसार किया है। केंद्र सरकार लगातार समर्थन मूल्य बढ़ा रही है, लेकिन इसका भी लाभ प्रदेश को नहीं दिया जा रहा है। केंद्र ने डीएपी में सब्सिडी बढ़ा दी, इसका लाभ भी यहां किसानों को नहीं दिया जा रहा। किसान सम्मान निधि के लिए केंद्र को जानकारी नहीं दी जा रही है, उसे जान बूझ कर रोका जा रहा है।
वादा था हर भूमिहीन परिवार को जमीन, सबके सर पर छत, कब्जाधारी को पट्टा, जबकि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से प्रदेश को दिए 6 लाख आवास में से 4 लाख 80 हजार आवास कांग्रेस सरकार ने वापस कर दिया। छत्तीसगढिय़ों के हक पर डाका डालने वाली, उन्हें मिले छत तक हड़प लेने वाली कांग्रेस की इस सरकार की जितनी निंदा की जाय, वह कम है। न केवल आवास बल्कि मोदी की तरफ से दी गई तमाम राहतों को दुराग्रहवश लोगों तक नहीं पहुंचने देने का कांग्रेस ने अभियान चलाया हुआ है। केंद्र सरकार अब कोविड काल में दीपावली तक मुफ्त राशन देगी, लेकिन पिछले दो महीने का राशन उठा लेने के बावजूद शासन ने उसे वितरित नहीं किया। सारा चावल भूपेश सरकार खा गई। आगे भी दीपावली तक बढ़ा हुआ चावल देगी या नहीं इसमें संदेह है। भाजपा इस च्चावल घोटालेज् की भी जांच की मांग करती है। हर घर रोजगार और एक लाख शासकीय नौकरी का वादा करने वाली इस सरकार ने मु_ी भर रोजगार भी नहीं दिए। पीएससी में अराजकता चरम पर है। दर्जनों सवाल गलत पूछे जा रहे हैं, साढ़े बारह हजार चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों की प्रताडऩा, उनके साथ भूपेश सरकार बर्बरता से पेश आ रही है। उन्हें नौकरी दे देने का झूठ भूपेश बघेल द्वारा लगातार बोला गया जबकि आवाज उठाने पर भविष्य खराब करने, जेल भेजने की धमकी दी जा रही है। युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, किसानों को पेंशन, बुजुर्गों को पेंशन आदि पर अब शासन चुप है. छत्तीसगढ़ में करीब 25 लाख युवा बेरोजगार पंजीकृत है। कांग्रेस 10 लाख बेरोजगारों को 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने के नाम से सत्ता में आई थी, लेकिन इन युवाओं को अब तक भत्ता नहीं मिला। निराशा इतनी है कि युवा आत्महत्या तक कर रहे हैं। प्रदेश में 5 हजार युवाओं को नौकरी से निकाला भी गया है।
महासमुंद में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लिए उपहार सामग्री, रेडी-टू ईट सामग्री खरीद में भ्रष्टाचार का अपराध किया। अब साबित हो गया है कि इसे लेकर महिला बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले को धरना और अनशन पर बैठना पड़ा था। ऐसे अजीब मामले पर भी ध्यान देने के बदले कांग्रेस सरकार ने घर पर अनशन कर रहे अधिकारी को ही गिरफ्तार भी कर लिया। केवल इन दो मामलों में ही 30 लाख से अधिक के भ्रष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है। ऐसे में अगर पूरे दो-ढाई वर्ष में प्रदेश के सभी जिलों में हुए खरीदी की जांच की जाय तो सैकड़ों करोड़ के घोटाले की आशंका केवल एक विभाग में, अन्य तमाम विभागों की कल्पना की जा सकती है। खासकर शराब के नाम पर चल रहा संस्थागत भ्रष्टाचार तो राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए भी एटीएम की तरह है।
प्रदेश में रेत माफिया, शराब माफिया, भू माफिया, हाथी माफिया, कोयला माफिया, ड्रग माफिया, जंगल माफिया सहित हर तरह के माफियाओं की पौ बारह हैं और न केवल कांग्रेस का इन सबको संरक्षण है बल्कि अनेक मामलों में स्वयं कांग्रेस के नेतागण इसमें संलिप्त हैं। विरोध करने वाले भाजपा के प्रतिनिधियों के साथ बर्बर हिंसा तक से बाज नहीं आ रहे हैं। धमतरी में ऐसे ही कांग्रेस संरक्षित माफिया ने भाजपा के जन प्रतिनिधि की पिटाई की, छत्तीसगढ़ शासन के सिस्टम में राष्ट्रद्रोही तत्वों का घुस आना चिंता की बात है ऐसे लोग नक्सलवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं। झीरम मामले भूपेश जेब में सबूत होने का दावा करते थे। भारतीय कानून में साक्ष्य छिपाना बड़ा अपराध है। सीएम को सह आरोपी बनाया जाना चाहिए, भीमा मंडावी की नक्सल ह्त्या, सिलगेर में ग्रामीण आदिवासियों पर गोली चलाना निंदनीय है।
नीति आयोग की रिपोर्ट में भी लगभग सभी संकेतकों पर कांग्रेस सरकार फिसड्डी साबित हुई है, फिर भी गाल बजाने और डींगें हांकने से ये बाज नहीं आ रहे।
कांग्रेस की आपसी गुटबाजी में ही इनके नेताओं ने सारा समय बर्बाद कर दिया है। येन-केन प्रकारेण पद पर बने रहना और सैकड़ों करोड़ की अवैध कमाई कर दस जनपथ के लिए भी दुधारू भैंस बने रहना इस सरकार की एकमात्र प्राथमिकता लग रही है। विधानसभा चुनाव के मात्र छ: महीने बाद हुए आम चुनाव में ही छत्तीसगढ़ की जनता ने इन्हें बता दिया था कि इन्होंने जनता का समर्थन खो दिया है। वास्तव में यह सरकार जनाधार के साथ-साथ विश्वास और मानवता भी खो चुकी है।
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