Overtime allowances cut: कोरोना के कारण सरकारी खजाना पर दबाव काफी बढ़ गया है. रेवेन्यू में गिरावट आई है, जबकि आर्थिक सुधार के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा खर्च करने की जरूरत है. ऐसे में फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सभी सरकारी विभागों और मंत्रालयों से कहा कि वे अपने खर्च पर नियंत्रण करें. गैर जरूरी खर्चों में कटौती करें, जिससे जरूरत की जगहों पर ज्यादा खर्च किया जा सके. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार ने नॉन-स्कीम खर्च में 20 फीसदी तक कटौती करने का निर्देश दिया है.
खर्च में कटौती को लेकर वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों से जरूरी कदम उठाने को कहा है. वित्त मंत्रालय ने खर्च कटौती को लेकर 2019-20 को आधार वर्ष बनाया है. माना जा रहा है कि इसके तह ओवरटाइम अलाउंस में कटौती की जाएगी जिससे क्लास-सी कर्मचारियों पर सीधा असर होगा. इसके अलावा रिवॉर्ड में कटौती संभव है. सीनियर अधिकारियों के लिए डोमेस्टिक और इंटरनेशनल ट्रैवल अलाउंस में कटौती की जा सकती है. इसके अलावा सरकारी ऑफिस के लिए रेंट में कटौती संभव है. कटौती की लिस्ट में स्टेशनरी सामान, इलेक्ट्रिसिटी बिल, रॉयल्टी, पब्लिकेशन, एडमिनिस्ट्रेटिव कॉस्ट, राशन खर्च आदि शामिल किए जा सकते हैं.
चालू वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.8 फीसदी
दरअसल इस समय सरकार पर फिस्कल डेफिसिट और रेवेन्यू डेफिसिट दोनों का दबाव है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.8 फीसदी रखा गया है. अगर सरकार इस दायरे में रहना चाहती है तो उसे हर हाल में अपने गैर-जरूरी खर्च समेटने होंगे. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए सरकार का फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 9.3 फीसदी या 18.21 लाख करोड़ रहा.
वित्त वर्ष 2021 में रेवेन्यू डेफिसिट 7.42 फीसदी
कंट्रोल जनरल ऑफ अकाउंट्स यानी CGA की ओर से जारी किए गए डेटा के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 में रेवेन्यू डिफिसिट 7.42 फीसदी रहा. पूरे वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट 9.3 फीसदी रहा जिसका अनुमान जीडीपी का 9.5 फीसदी लगाया गया था. फरवरी 2020 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान 7.96 लाख करोड़ रखा था. यह जीडीपी का 3.50 फीसदी था.
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