व्यापार बढ़ाने के लिए एक सक्षम वातावरण जरूरी : राष्ट्रपति

नई दिल्ली,30अक्टूबर (वेदांत समाचार ) । भारतीय व्यापार सेवा और भारतीय लेखा सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2023-24 में 8.2 प्रतिशत की तीव्र आर्थिक वृद्धि के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक चुनौतियों के सामने मजबूती का प्रदर्शन कर रही है। भारत को प्रति व्यक्ति आय के स्तर को बढ़ाने और अनिश्चित वैश्विक वातावरण के बीच भी विकास के निरंतर उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने की आवश्यकता है। सरकार की कई पहल विकास के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रही हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि विनिर्माण को बढ़ावा देने पर सरकार के बढ़ते फोकस के साथ, यह भारतीय व्यापार सेवा अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे सीमाओं के पार व्यापार बढ़ाने के लिए एक सक्षम वातावरण और बुनियादी ढांचे के निर्माण की सुविधा प्रदान करें। उनसे व्यापार वार्ता में नए आयाम लाने, नवीन नीतियां बनाने और भारत के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई गति प्रदान करने की उम्मीद की जाती है। उन्होंने अधिकारियों को याद दिलाया कि वे भारत के विकास को गति देने और बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन पर प्रभाव डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।मती मुर्मु ने कहा कि भारतीय लेखा सेवा के अधिकारी राजस्व का पारदर्शी मूल्यांकन सुनिश्चित करते हुए सरकारी संचालन, योजनाओं और परियोजनाओं में व्यय को तर्कसंगत बनाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनसे जटिल वित्तीय और लागत प्रबंधन मुद्दों से निपटने में निपुणता की उम्मीद की जाती है।

वे विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के तहत एंटी-डंपिंग उपायों और सुरक्षा शुल्क जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मामलों को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके निर्णय और कार्य सार्वजनिक वित्त की सुरक्षा और सरकारी खरीद प्रणालियों में दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण होंगे।राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जतायी कि वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के कार्यान्वयन में, अधिकारियों द्वारा किए गए ऑडिट ने राजस्व रिसाव का पता लगाने और अनुपालन उपायों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने उन्हें इस तथ्य से अवगत रहने की सलाह दी कि वे जो कुछ भी करते हैं उसका अंतिम प्रभाव वंचित और वंचित वर्गों के कल्याण पर पड़ता है।

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