CG Highcourt: बैंक सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है, अफसरों का ईमानदार होना बेहद जरूरी

बिलासपुर, 07 अक्टूबर। राजधानी रायपुर के इंडियन बैंक के ब्रांच मैनेजर नियोजित विश्वास पर धोखाधड़ी का पुलिस ने जुर्म दर्ज किया है। दो करोड़ 13 लाख 71 हजार रुपये गबन करने का आरोप लगाते हुए विधानसभा थाने में एफआइआर दर्ज करवाई गई थी।

विश्वास ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके व्यास ने धोखाधड़ी के आरोपित पूर्व ब्रांच मैनेजर की याचिका को खारिज कर दिया है।

जमानता याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस व्यास ने अपने फैसले में लिखा है कि बैंक सार्वजनिक धन का सबसे बड़ा संरक्षक होता है। बैंक में काम करने वाले अधिकारी से लेकर कर्मचारियों में नैतिकता और ईमानदारी होना बेहद जरूरी है। अफसर इसी तरह धोखाधड़ी करते रहे तो लोगों का भरोसा ही उठ जाएगा।

क्या है मामला

इंडियन बैंक दोंदेखुर्द ब्रांच के मैनेजर ने विधानसभा थाने में पूर्व ब्रांच मैनेजर नियोजित बिश्वास के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के अनुसार पूर्व ब्रांच मैनेजर ने विभिन्न खाताधारकों के एकाउंट से कुल दो करोड़ 13 लाख 71637 रुपये निकाले। राशि आरटीजीएस एनईएफटी के माध्यम से अपने एसबीआइ खाते में ट्रांसफर किया। शिकायत के आधार पर विधानसभा पुलिस थाना के अफसरों ने आईपीसी की धारा 409 के तहत एफआईआर दर्ज की है।

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को यह दी जानकारी

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट को बताया कि बैंक प्रबंधन ने तथ्यों को छिपाकर अधिक राशि बताई गई है। उसने बैंक को 73 लाख 50 हजार रुपये वापस कर दिए हैं। बैंक ने स्वयं 77 लाख 50 हजार रुपये के नुकसान का आकलन किया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को इंडियन बैंक को भी पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं।