कमला नेहरु महाविद्यालय में विधि-विधान से की गई देवशिल्पी श्री विश्वकर्मा की पूजा, प्रयोगशाला में कंप्यूटरों का किया गया तिलक-वंदन और पुष्प अर्पण

कोरबा, 17 सितंबर (वेदांत सामाचार)। केवल इस संसार ही नहीं, देवलोक की संरचना के शिल्पकार कहे जाने वाले भगवान श्री विश्वकर्मा की जयंती हर्ष और उल्लास से मनाई गई। इस अवसर पर कमला नेहरु महाविद्यालय में भी विशेष आयोजन रखा गया था। प्राचार्य डॉ प्रशांत बोपापुरकर की अगुआई में महाविद्यालय के कंप्यूटर साइंस व आईटी डिपार्टमेंट में विधि-विधान से पूजा-पाठ किया गया। कल-पुर्जों, यंत्र-उपकरणों के देवता का वास मानते हुए विभाग व प्रयोगशाला में स्थापित कंप्यूटरों का तिलक-वंदन किया गया, पुष्प अर्पित कि गए और देवशिल्पी विश्वकर्मा की आरती गाई गई। इस अवसर पर प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक, कर्मचारी व छात्र-छात्राओं समेत समस्त महाविद्यालय परिवार मौजूद रहा।

भगवान विश्वकर्मा को देवशिल्पी कहा जाता है, यानी देवताओं के विभिन्न नगरों सहित इस पूरी पृथ्वी का निर्माण भी उन्होंने ही किया है। हर साल कन्या संक्रांति पर इनकी पूजा का विधान है। प्रतिवर्ष जब सूर्य सिंह से कन्या राशि में प्रवेश करता है तो इस मौके पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पी कहे जाते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा के कहने पर श्री विश्वकर्मा ने इस पूरी पृथ्वी का निर्माण किया था। पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर, मंगलवार को शुभ योगों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा से हर काम में सफलता मिल सकती है। यह दिन नए काम की शुरूआत के लिए भी अति शुभ माना जाता है।