अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लेकर विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. कांग्रेस ने सोमवार को सेबी प्रमुख माधबी बुच पर कई आरोप लगाए. कांग्रेस ने कहा कि माधवी साल 2017 से 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रही हैं. वह साल 2022 में चेयरपर्सन बनीं और साल 2017 से 2024 के बीच माधवी ने ICICI बैंक से 16.80 करोड़ रुपये की सैलरी ली है. कांग्रेस के आरोप के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक ICICI बैंक ने बयान जारी कर मामले की सच्चाई बताई है.
कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए ICICI Bank ने आज यानी 2 सितंबर को कहा कि उसने मौजूदा मार्केट रेगुलेटर यानी सेबी की हेड माधबी पुरी बुच को बैंक से रिटायर होने के बाद न कोई वेतन दिया और न ही कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन की सुविधा दी. ICICI Bank ने कांग्रेस के ESOP और सैलरी वाले आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच अक्टूबर 31 अक्टूबर 2013 में बैंक से रिटायर हो गईं. उसके बाद से उन्हें कोई वेतन भुगतान नहीं किया गया है और न ही कोई ESOP दिया गया है.
ESOP (Employee Stock Ownersip Plan) का मतलब होता है कि कंपनी अपने कर्मचारी को कुछ स्टॉक की ओनरशिप देती है. बैंक ने अपने बयान में कहा कि बुच को उनकी नौकरी के दौरान लागू नीतियों के हिसाब से वेतन, रिटायरमेंट बेनिफिट, बोनस और ESOP के रूप में मुआवजा मिला.
कांग्रेस का क्या है आरोप
ICICI Bank की तरफ से यह सफाई तब आई है जब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने आज एक प्रेस कांफ्रेस में कहा कि 2017 में सेबी की मौजूदा चेयरमैन के पदभार संभालने के बाद से बुच सेबी से वेतन ले रही हैं और साथ ही साथ आईसीआईसीआई बैंक में लाभ के पद पर भी हैं और वहां से भी आज की तारीख में आय हासिल कर रही हैं. जो नियमों के खिलाफ है.
कांग्रेस ने SEBI चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनकी नियुक्ति के मामले में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) के प्रमुख के रूप में स्पष्टीकरण देने की मांग की.
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