जेल में अच्छे आचरण वाले बंदियों को राहत…अब मिलेगा 2 दिन का अंशकालिक पैरोल

भोपाल। घर में किसी की शादी, गंभीर बीमारी, बच्चे का जन्म या किसी अधूरे सरकारी कामकाज के लिए अब बंदियों को दो दिन (48 घंटे) के लिए जेल से छुट्टी मिल सकेगी। यह व्यवस्था मध्य प्रदेश में लागू की गई है।

दरअसल, हाल ही में लागू किए गए ‘मध्य प्रदेश सुधारात्मक सेवाएं और बंदीगृह अधिनियम 2024’ में अंशकालिक पैरोल का प्रावधान किया गया है, जिसमें बंदियों को यह सुविधा मिलेगी। इस पैरोल को उनकी सजा की अवधि में ही जोड़ा जाएगा।

अभी तक ये था नियम


अभी बंदियों को न्यायालय की अनुमति से इन कामों के लिए पैरोल मिल पाती थी, वह भी काम के अनुसार दो-चार घंटे के लिए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में आदर्श कारागार अधिनियम बनाया था। इसे सभी राज्यों को भेजकर आवश्यकतानुसार संशोधन के बाद क्रियान्वित करने के लिए कहा गया था।

इस संबंध में इसी वर्ष मानसून सत्र में विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत किया गया था। प्रदेश सरकार ने कुछ परिवर्तन के साथ इसे लागू कर दिया है। अधिनियम में दूसरा बड़ा परिवर्तन यह किया गया है कि वर्ष में अधिकतम 42 दिन मिलने वाले सामान्य पैरोल की अवधि अब सजा से बाहर कर दी गई है। यानी बंदी जितने दिन पैरोल पर रहेगा, उतने दिन अतिरिक्त सजा काटनी होगी। जेल मुख्यालय का नाम भी जेल संचालनालय कर दिया गया है। हालांकि, संचालनालय में बाकी व्यवस्थाएं मुख्यालय की तरह ही होंगी। सुधारात्मक सेवाओं के अंतर्गत अब गरीब बंदियों के जेल से रिहा होने के बाद उनके पुनर्वास में सहायता की जाएगी। उदाहरण के तौर पर किसी बंदी ने जेल में सिलाई-बुनाई में प्रशिक्षण लिया है तो सिलाई मशीन खरीदने के लिए उसे अनुदान या कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा।

मप्र में नए अधिनियम में ये नया –


अच्छे आचरण वाले बंदियों को वर्ष में अधिकतम 15 दिन फरलो अवकाश मिलेगा। यह कारावास अवधि में ही शामिल रहेगा।
खतरनाक बंदियों को अब अलग बैरक में रखा जाएगा। इसके पहले सुरक्षा की दृष्टि से जेलों में कई बार ऐसा किया जाता था, पर एक्ट में उल्लेख नहीं था।


उपचार के लिए जेल में टेलीमेडिसिन की सुविधा भी अब मिलेगी।
बंदियों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए योग, ध्यान से जोड़ा जाएगा।
सुधारात्मक सेवाएं और बंदीगृह अधिनियम के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसमें सुधारात्मक सेवाओं को लेकर कई अच्छे प्रावधान किए गए हैं। पैरोल को लेकर भी कुछ परिवर्तन किए गए हैं। – जीपी सिंह, जेल महानिदेशक, मप्र

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