हमारे भारत देश को आयुर्वेद का महासागर कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। प्राचीन संस्कृति इसी पर टिकी हुयी है। बड़े बड़े ऋषि मुनि इस देश की धरा को आयुर्वेद का महाज्ञान दे गये। यहां की नदियों, पहाड़ों ,वृक्षों आदि सबमें आयुर्वेद समाया है।
इसी तारतम्य में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान भारत शासन द्वारा 11 अगस्त को जिले कोरबा में परम्परा वैद्यों के ज्ञान के दस्तावेजीकरण की कार्यशाला आयोजित हुयी, जिसमें जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से 31 वैद्यों ने भाग लिये। और अपने ज्ञान को शासन के सुपुर्द किये। अनेक वृक्षों के पत्ते, तने ,जड़ ,फल -फूल से बनने वाले औषधियों व असाध्य रोगों के उपचार बताये। कुछ ऐसे ईलाज जो कि मेडिकल साइंस में भी नहीं कर पा रही, इन परम्परागत वैद्यों ने संभव कर दिखाये हैं।
कार्यक्रम का आयोजन भदरापारा बाल्को में आयुर्वेद विशेषज्ञ अर्जुन श्रीवास के बायो डायवर्सिटी पार्क में हुआ। जिसमें बिलासपुर से इको क्लब नेचर बॉडी के विद्यार्थी शामिल हुये। और उनमें पीएचडी कर रहे लेक्चरर भी शामिल हुये।
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