छत्तीसगढ़ में बाढ़ में फंसे दूल्हा-दुल्हन, बारातियों ने कांधे पर बैठाकर कराया पार, गांव में पुल नहीं, छात्र नहीं जा पाते स्कूल

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में मंगलवार को मूसलाधार बारिश के बीच नाले में बाढ़ आ गई, जिससे दूल्हा-दुल्हन को कांधे और गोद पर उठाकर पार कराया गया। बताया जा रहा है कि जब बारात गई थी, तो नाला सूखा था, लेकिन लौटते वक्त नाला उफान पर था। पूरा मामला पलारी ब्लॉक के ग्राम मल्लीन का है।

दरअसल, मल्लीन गांव के रहने वाले रुपेश साहू (22) और भारती साहू (20) की लव मैरिज हुई है। विदाई के बाद बारात वापस लौट रही थी। इस दौरान यह नजारा देखने को मिला। बारातियों ने दूल्हे को कांधे पर उठाकर पार कराते नजर आ रहे हैं।

मूसलाधार बारिश के बीच नाले में बाढ़ आ गई, जिससे दूल्हा-दुल्हन को कांधे और गोद पर उठाकर पार कराया गया।

मूसलाधार बारिश के बीच नाले में बाढ़ आ गई, जिससे दूल्हा-दुल्हन को कांधे और गोद पर उठाकर पार कराया गया।

बाढ़ में फंसे दूल्हा-दुल्हन

बारातियों ने बताया कि मल्लीन गांव के नालापारा से पुरानी बस्ती बारात गई थी। घर में रस्मों-रिवाज के साथ शादी पूरी हुई। शादी के बाद गांव में जोरदार बारिश हुई। बारिश बंद होने के बाद वह पुरानी बस्ती से नालापारा जा रहे थे, तभी बाढ़ में फंस गए।

दोस्तों ने दूल्हे को कांधे पर बैठाया

बारातियों ने बताया कि कार नाले को पार नहीं कर सकी। ऐसे में वह दोस्तों के साथ मिलकर दूल्हे को कांधे पर बैठाया। इसके बाद घुटने भर से ज्यादा बाढ़ को पार कराया। वहीं दुल्हन को एक महिला गोद में लेकर पार नाले को पार कराई।

पानी घुटनों तक हो तो किसी तरह नाले में बने चैक डेम या अभिभावक कंधों पर बैठाकर बच्चों नाला पार करा लेते हैं, लेकिन उससे ज्यादा होने पर बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है।

पानी घुटनों तक हो तो किसी तरह नाले में बने चैक डेम या अभिभावक कंधों पर बैठाकर बच्चों नाला पार करा लेते हैं, लेकिन उससे ज्यादा होने पर बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है।

मल्लीन गांव दो भागों में बटां

इस दौरान दूल्हा दुल्हन ने बताया कि मल्लीन गांव विकास के लिए कई साल से तरस रहा है। गांव में करीब 204 घर हैं। यहां करीब 1 हजार 347 लोग निवास करते हैं। ग्राम पंचायत मल्लीन को दो भागों में बांटा गया है।

20 घर के करीब 125 लोग बदहाली में जीवन काट रहे

इसमें पहला मल्लीन नाला और दूसरा नाला पारा। मल्लनी नाला इलाके में स्कूल, आंगनबाड़ी, राशन दुकान, आवश्यक सामानों की दुकान और सामुदायिक भवन जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहीं दूसरे भाग में नाला पारा सारी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। नाला पारा के 20 घर के करीब 125 लोग बदहाली में जीवन काटते हैं।

दूल्हा दुल्हन ने बताया कि 40 स्कूली बच्चे और आंगनवाड़ी वाले 8 बच्चों को आने-जाने में समस्याएं होती है।

दूल्हा दुल्हन ने बताया कि 40 स्कूली बच्चे और आंगनवाड़ी वाले 8 बच्चों को आने-जाने में समस्याएं होती है।

छात्र नहीं जा पाते हैं स्कूल

दूल्हा दुल्हन ने बताया कि 40 स्कूली बच्चे और आंगनवाड़ी वाले 8 बच्चों को आने-जाने में समस्याएं होती है। पानी घुटनों तक हो तो किसी तरह नाले में बने चैक डेम या अभिभावक कंधों पर बैठाकर बच्चों नाला पार करा लेते हैं, लेकिन उससे ज्यादा होने पर बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है।

अंतिम संस्कार करना टेढ़ी खीर

वहीं मोहल्ले के निवासी जनक राम, चिंताराम, धरम सिंह ध्रुव, रवि साहू, दादू राम, रश्मि साहू, हीरालाल, बिहारी, पाहरू साहू ने बताया कि एंबुलेंस तो दूर डॉक्टर भी मरीज तक नहीं पहुंच पाते। परेशानियां केवल जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी बनी रहती है। बारिश में अंतिम संस्कार करना टेढ़ी खीर बन जाती है।

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