800 ग्राम की नवजात शिशु लवी ने जीती इंडेक्स अस्पताल में जिंदगी की जंग

लवी को मिला जीवनदान; इंडेक्स अस्पताल के डॉक्टर बने मददगार

इंडेक्स अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने 45 दिनों तक किया नवजात शिशु लवी का इलाज; अब वजन 1 किलो 700 ग्राम

इंदौर, 31 जुलाई । इंडेक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने 45 दिनों तक किए गए प्रयासों से सोनकच्छ में रहने वाली महिला के इंदौर के एक निजी नर्सिंग होम जन्मे 800 ग्राम के नवजात शिशु लवी को बचा लिया है। अब लवी का वजन 1 किलो 700 ग्राम हो चुका है। समय से पहले जन्म होने के कारण शिशु सिर्फ 800 ग्राम वजन का था। इंदौर के निजी नर्सिंग होम में इस बच्चे की हालत बेहद नाजुक बनी हुई थी। इसे डॉक्टरों ने इंडेक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रेफर किया और उसे वार्मर केयर में रखा गया। जीवित रखने के लिए माँ का दूध भी जरूरी था। ऐसे में, उसे कृत्रिम रूप से दूध पिलाया गया। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शुभांगी महाशब्दे के नेतृत्व में उसे बचाने के लिए चिकित्सकों की पूरी टीम जुटी रही। एनआईसीयू और अस्पताल स्टाफ की मेहनत और प्यार रंग लाया। मौत के मुँह से बचाकर डॉक्टरों ने 45 दिनों बाद बच्ची लवी को बेहतर इलाज दिया और उसके परिवार के लोग उसे अपने साथ खुशी-खुशी घर ले गए।

संक्रमण से रखा दूर; अब 1 किलो 700 ग्राम तक पहुँच गया वजन

डॉ. शुभांगी महाशब्दे ने बताया कि सोनकच्छ से इंडेक्स अस्पताल में महज 800 ग्राम वजन के इस बच्चे को रेफर किया गया। लवी नामक बच्ची को जीवित रखना सबसे बड़ी चुनौती थी। एनआईसीयू यूनिट में बच्ची को लगातार ऑक्सीजन देने के साथ संक्रमण से पूरी तरह दूर रखा गया और सभी चिकित्सा संबंधी मापदंडों की पूरी निगरानी की गई। वहीं, सोनोग्राफी, ईको और कार्डियोग्राफी कर गहन चिकित्सा इकाई में बच्ची को सही तापमान में रखते हुए उसे विकसित करने के पूरे प्रयास किए गए। आखिरकार 45 दिनों के बाद न केवल बच्ची का वजन अब 1 किलो 700 ग्राम तक पहुँच गया है, वहीं पहले की तुलना में वह स्वस्थ भी है। इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया, वाइस चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया, डीन डॉ. जीएस पटेल, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. स्वाति प्रशांत, एडिशनल डायरेक्टर आर सी यादव ने डॉक्टर और एनआईसीयू टीम की सराहना की।

माँ के भीतर न्यूट्रिशन की कमी से बढ़ रहे इस तरह के मामले

डॉ. शुभांगी महाशब्दे ने कहा कि जब लवी को इंडेक्स अस्पताल में 8 जून को भर्ती किया गया था, तब हमें सबसे पहले यह ध्यान रखना पड़ा कि बच्ची को किसी तरह का संक्रमण न हो। इसी के साथ उसके मस्तिष्क और लीवर या अन्य अंगों में कोई परेशानी नहीं हो। सीपेक मशीन में खासतौर पर इसे बेहतर न्यूट्रिशन दिया गया और साथ ही एनआईसीयू की एक स्पेशल टीम बनाई गई। पूरी टीम ने दिन रात मेहनत कर लवी को नई जिंदगी देने में मददगार की भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि इन दिनों 700 से 800 ग्राम के बच्चों के जन्म के मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। इसमें माँ के भीतर न्यूट्रिशन की कमी और समय से पहले डिलीवरी होने के कारण इस तरह के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं।

हमारी यही सलाह है कि गर्भवती महिलाएँ, खासतौर पर नियमित जाँच के साथ विशेष तौर पर खानपान का ध्यान ज्यादा रखें। डॉ. शुभांगी महाशब्दे के साथ इस टीम में डाॅ. अमृता लोया, डॉ. प्रियंका जैन, पीजी डॉ. विश्रृांग पटेल, डॉ. जबी, डॉ. निवेदिता, डॉ. विपिन और एनआईसीयू इंचार्ज अनिल की टीम शामिल थी।

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