महासमुंद में अफसर के अनशन के बाद डैमेज कंट्रोल की कवायद, जांच के लिए बनी समिति

महासमुंद । छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले द्वारा मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत उपहार खरीदी और रेडी टू ईट निर्माण में 30 लाख रुपये के आर्थिक भ्रष्टाचार का आरोप लगा अनशन पर बैठने का मामला सुर्खियों में है। जिले से लेकर प्रदेश तक के शीर्ष अफसर अब इस मामले में डैमेज कंटोल की कवायद में जुट गये हैं। रविवार की शाम अनशन पर बैठे अफसर की गिरफ्तारी की चर्चा तेज हुई तो अपर पुलिस अधीक्षक ने स्पष्ट किया कि अनशन पर बैठे अफसर को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

सोमवार की सुबह अफसर को निलंबित किये जाने की चर्चा तेज हो गयी। इसके बाद फिर कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि महिला एवं बाल विकास अधिकारी को न तो हिरासत में लिया गया और न ही निलंबित किया गया। यह भी चर्चा तेज रही कि सोमवार को महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले न तो अनशन पर है और न ही गिरफ्तार किये गये हैं। वे अपने ड्यूटी पर हैं। महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। पूरे मामले की जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। उधर महिला एवं बाल विकास विभाग ने विभागीय संचालक जनमेजय महोबे की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय टीम को उन शिकायतों की जांच सौंपी है जिन्हें बोदले ने उठाया था। महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है। इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है। इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यालय द्वारा महासमुंद प्रशासन से रिपोर्ट मांगी गई है। महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंडिया ने भी अफसरों को तलब कर उन शिकायतों की जानकारी ली। उसके बाद विभाग ने जांच समिति के गठन का आदेश जारी किया। महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है, 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, पर कार्रवाई नहीं की गई।


अफसर के अनशन पर विपक्ष ने भी दिखाए तेवर


अफसर के अपने ही विभाग के खिलाफ अनशन पर बैठने की सूचना मिलते ही राजनीतिक दल खासकर विपक्ष भी सक्रिय हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर मामले की जांच रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने की मांग कर दी। रमन सिंह ने लिखा कि यह केवल एक जिले अथवा विभाग का मामला नहीं है, पूरे प्रदेश में गंभीर वित्तीय अनियमितता तथा भ्रष्टाचार-लूटपाट की छूट मिल गई है। रमन सिंह ने कहा, राज्य गठन के बाद किसी जिला स्तरीय अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार और कदाचरण के मुद्दे पर अनशन पर बैठने की यह पहली घटना है। उधर महासमुंद के पूर्व विधायक विमल चोपड़ा भी सोमवार को महिला एवं बाल विकास अधिकारी के कार्यालय पहुंचे। उनके साथ भाजपा महिला मोर्चा की पदाधिकारी भी उपस्थित रहीं। प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर ने इस मामले की सीबीआई जांच कराये जाने की मांग उठाई है।