बाल श्रम बच्चों के शारीरिक-मानसिक विकास को रोकता है…

0.जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने किया जागरूकता शिविर का आयोजन

कोरिया,13 जून 2024 । अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भीष्म प्रसाद पाण्डेय के निर्देशानुसार 12 जून को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव अमृता दिनेश मिश्रा ने एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में महिला एवं बाल विकास विभाग के पंकज कुमार वर्मा, संजीव साहू और श्रम निरीक्षक गोपी सिंह ने भाग लिया।

शिविर के दौरान, बैकुण्ठपुर के ग्राम भाड़ी और वहां स्थित दुकानों का निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण का उद्देश्य बाल किशोर श्रम प्रतिषेध अधिनियम एवं विनियम 1986 के संबंध में लोगों को जागरूक करना था। अधिकारियों ने बताया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का काम लेना अपराध है।

शिविर में लोगों को बताया गया कि अक्सर श्रमिक और किसान परिवार के बच्चे छोटी उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर काम-धंधों में लग जाते हैं। इससे बच्चों के स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के किसी भी प्रकार के नियोजन पर प्रतिबंध लगाया है।

इसी प्रकार अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश कुमार पात्रे और न्यायिक मजिस्ट्रेट मनोज कुमार कुशवाहा ने जनपद पंचायत खड़गवां में एक और शिविर का आयोजन किया। उन्होंने लोगों को बताया कि बाल श्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है और उन्हें शिक्षा के अवसर से वंचित रखता है।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित इस जागरूकता शिविर का उद्देश्य लोगों को बाल श्रम के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करना और बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने के लिए प्रेरित करना था। ऐसे कार्यक्रम बाल श्रम के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समाज को बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए संवेदनशील बनाते हैं।