नईदिल्ली, 1 जून 2024 : कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुसीबत बढ़ती नजर आ रही है। वीर सावरकर मानहानि मामले में पुणे की सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी को समन जारी किया है, जिसमें 19 अगस्त को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। राहुल गांधी ने यूनाइटेड किंगडम की यात्रा के दौरान विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान दिया था, जिसके बाद सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मानहानि का आरोप लगाया था।
ऐसे में सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए दायर मानहानि की शिकायत के संबंध में राहुल गांधी को 19 अगस्त को पेश होने का आदेश दिया गया है। इस मामले की जांच पुणे की विश्रामबाग पुलिस कर रही है।
मालूम हो कि राहुल गांधी ने मार्च 2023 में लंदन में वीर सावरकर के बारे में अपमानजनक बयान दिया था। जिस पर सावरकर के पोते ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि शिकायत में राहुल गांधी पर हिंदुत्व विचारक को बदनाम करने का आरोप लगाया गया है।
पुणे में न्यायिक मजिस्ट्रेट अक्षी जैन ने 30 मई को सीआरपीसी की धारा 204 के तहत प्रक्रिया जारी करते हुए आदेश पारित किया। इससे पहले न्यायाधीश ने पुणे पुलिस को सीआरपीसी की धारा 202 के तहत मानहानि की शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया था। पुलिस ने 27 मई को न्यायाधीश के समक्ष अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शिकायत का संज्ञान लिया और गांधी के खिलाफ प्रक्रिया जारी की।
सुनवाई के दौरान राहुल गांधी का कोई वकील कोर्ट में पेश नहीं हुआ, हालांकि मामले में विस्तृत आदेश अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। मानहानि की शिकायत में कहा गया है कि राहुल गांधी पिछले कई वर्षों में विभिन्न अवसरों पर सावरकर को “बार-बार बदनाम” कर रहे थे। ऐसा ही एक मौका 5 मार्च, 2023 को आया, जब गांधी यूनाइटेड किंगडम में ओवरसीज कांग्रेस की एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
शिकायतकर्ता ने दावा किया कि गांधी ने सावरकर के खिलाफ जानबूझकर बेबुनियाद आरोप लगाए, जबकि वे जानते थे कि ये आरोप झूठे हैं, ताकि उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया जा सके। शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि गांधी ने जानबूझकर उन्हें और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के लिए ये शब्द कहे। पुणे में एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर शिकायत में कहा गया है कि हालांकि “अपमानजनक आरोपों” वाला वास्तविक भाषण गांधी ने इंग्लैंड में दिया था, लेकिन इसका असर पुणे में हुआ क्योंकि इसे पूरे भारत में प्रकाशित और प्रसारित किया गया था।
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