विकसित देश अपनी बौद्धिक संपदाओं को बहुत पहले से सुरक्षित कर लेते

मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के उपलक्ष्य में “बौद्धिक संपदा अधिकार” पर सेमिनार

इंदौर। मालवांचल यूनिवर्सिटी द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। बौद्धिक संपदा अधिकार दिवस के पूर्व यह सेमिनार छात्रों और शिक्षकों के बीच बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया। इस अवसर पर एडवोकेट राकेश सोनी ने छात्रों और शिक्षकों के साथ भारत में पेटेंट संरक्षण के मूल सिद्धांतों, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क के साथ उसकी भिन्नता और उनकी सुरक्षा पर भी चर्चा की।उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन ने 26 अप्रैल को विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के रूप में नामित किया। देशभर के शिक्षा संस्थानों में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार के जरिए एक नई शुरुआत की गई।आज विकसित एवं विकासशील देशों के विकास में फर्क सिर्फ इतना है कि विकसित देश अपनी बौद्धिक संपदाओं को बहुत पहले से ही कॉपीराइट, पेटेंट एवं ट्रेडमार्क जैसी सुरक्षित तकनीक द्वारा सुरक्षित करके पूरी दुनिया पर राज करते रहे हैं।इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेशसिंह भदौरिया,वाइस चेयरमैन मयंकराज सिंह भदौरिया,मालवांचल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ.संजीव नारंग,रिसर्च डायरेक्टर डॅा.लिली गंजू , आईक्यूएससी के डायरेक्टर डॉ रौली अग्रवाल और रिसर्च टीम के मार्गदर्शन में सेमिनार आयोजित किया गया।बौद्धिक संपदा संगठन जिनेवा ने इंटरनेशनल वेबसाइट पर इस सेमिनार को पोस्ट किया गया।

युवाओें के नए आईडिया उन्हें बना रहे कामयाब

श्री सोनी ने कहा कि आज केवल आपका एक आईडिय़ा आपके पूरे जीवन को बदल सकता और आईआई़टी से लेकर आईआईएम के युवाओं की कामयाब होने की कहानियां इसका उदाहरण है। इसके लिए आपको केवल बौद्धिक संपदा अधिकार की सही समझ होना बेहद जरूरी है। नई विचारों को बेहतर तरीके से समाज और लोगों के लिए उपयोग में लाने के लिए आपके पेटेंट से लेकर सभी बातों का ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने कहा आज भारत में भी प्रत्येक विभाग में देश के वैज्ञानिक, शोधार्थी, औद्योगिक इकाइयों, शिक्षण संस्थान, सरकारी संस्थाएं अपनी योजनाओं एवं अपने उत्पादों को पेटेंट कर विकसित भारत संकल्प 2047 की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंसेस से लेकर बिजनेस की दुनिया में कई बार ऐसा अवसर आता है जब लोगों को बौद्धिक संपदा अधिकारों की सही मायने पता चलता है। कोरोना के समय रेमेडी सीवर इंजेक्शन इसका बड़ा उदाहरण था। इंटरैक्टिव सत्रों से छात्रों को पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में संदेह दूर करने में मदद मिली। पेटेंट के लिए आवेदन कैसे करें की प्रक्रिया पर चर्चा की गई और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन और वीडियो व्याख्यान की मदद से समझाया गया। छात्रों और संकाय को पेटेंट की अवधारणाओं और पेटेंट के लिए खेलने की प्रक्रिया के साथ-साथ भय और गलत धारणाओं से भी समृद्ध किया गया।इस अवसर पर इंडेक्स समूह संस्थान के डीन,शिक्षक और छात्र उपस्थित थे। संचालन साइंटिफिक रिसर्च ऑफिसर डॅा.नेहा जायसवाल ने किया। आभार डॅा.दीपशिखा विनायक ने माना।