रायपुर,28 मार्च । उच्च शिक्षा से जुड़े प्रदेश के सभी विवि व कॉलेजों में अगले सत्र से ग्रेजुएशन की पढ़ाई सेमेस्टर पैटर्न से होगी, यह लगभग तय हो गया है। दरअसल, राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसके अनुसार ग्रेजुएशन का कोर्स सेमेस्टर व क्रेडिट आधारित तैयार करने के लिए विषय वार कमेटी बनाई गई है। कोर्स तैयार कर इन्हें 20 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा को देनी है।
हालांकि, प्राइवेट छात्रों को लेकर एग्जाम का पैटर्न क्या होगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि स्वाध्यायी यानी प्राइवेट छात्रों की परीक्षा कैसे होगी? यह बड़ा सवाल है। प्रदेश में हर साल दो लाख से अधिक छात्र ग्रेजुएशन करने के लिए यूनिवर्सिटियों की वार्षिक परीक्षा में प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप में शामिल होते हैं।
उधर, राज्य में करीब साढ़े छह सौ कॉलेज हैं। इनमें से सिर्फ 8 कॉलेजों में ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई सेमेस्टर आधारित है। जबकि अन्य कॉलेजों में एनुअल पैटर्न है। इसके अनुसार छात्र साल में एक बार वार्षिक परीक्षा देते हैं। सेमेस्टर लागू होने के बाद कोर्स छह-छह महीने में बंट जाएगा। इसके तहत एक साल में दो बार एग्जाम होंगे। जानकारों का कहना है कि ग्रेजुएशन में पूरी तरह से सेमेस्टर सिस्टम लागू करने में चुनौतियां भी हैं। क्योंकि इसमें छात्रों का प्रवेश रेगुलर स्टूडेंट्स के रूप में होगा। इसी तरह यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्राध्यापकों की कमी भी बड़ी समस्या है।
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वहीं दूसरी ओर से राज्य के विश्वविद्यालयों की ओर से होने वाली वार्षिक परीक्षा में बड़ी संख्या में स्वाध्यायी यानी प्राइवेट से परीक्षा देने वाले छात्र रहते हैं। सेमेस्टर लागू होने से इन छात्रों की परीक्षा कैसे होगी, इसे लेकर स्पष्टता नहीं है।
ग्रेजुएशन के विभिन्न संकाय जैसे, साइंस, कामर्स व आर्ट्स का कोर्स तैयार करने के लिए विषयवार 25 कमेटियां बनाई गई हैं। इसमें 2 से लेकर 7 सदस्य तक हैं। साइंस के तहत फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, जियोलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी, बॉटनी, जूलॉजी, बायोटेक, माइक्रोबायोलॉजी, फॉरेस्ट्री एंड वाइल्ड लाइफ। कंप्यूटर साइंस, कंप्यूटर एप्लीकेशन एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी। आर्ट्स (सामाजिक विज्ञान एवं साहित्य) के तहत अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान, भूगोल, गृह विज्ञान, मनोविज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, सैन्य विज्ञान और दर्शनशास्त्र। इसके अलावा वाणिज्य संकाय के लिए कमेटी बनी है।
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में भी एनईपी के लिए तैयारी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने की तैयारी है। विवि के अधिकारियों का कहना है कि एनईपी में कई तरह के प्रावधान हैं। इसमें से करीब 50 प्रतिशत पार्ट अगले सत्र से लागू हो जाएगा। मल्टीपल एंट्री एवं मल्टीपल एक्जिट। इसके अनुसार ग्रेजुएशन के छात्र यदि एक साल के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं तो उन्हें सर्टिफिकेट मिलेगा। दो वर्ष बाद पढ़ाई छोड़ने वाले को डिप्लोमा तथा पूरा कोर्स करने वाले छात्रों को डिग्री दी जाएगी।
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