रायपुर,12 मार्च । भारत में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) लागू कर दिया है। ज्ञात हो कि इस कानून के माध्यम से भारत की सीमाओं से लगे पड़ोसी देशों में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदू , सिक्ख , बौद्ध , ईसाई और फारसी सहित सभी जो वर्तमान में जिस पड़ोसी देश में निवासरत होकर अल्पसंख्यक हैं उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी। भारत सरकार ने यह कानून बनाने की मुख्य वजह पड़ोसी देशों में प्रताड़ना झेल रहे सभी अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना था ताकि वे भारत में आकर एक सुरक्षित वातावरण में अपना जीवन यापन कर अपने जीवन में अमूल चूल परिवर्तन लाने में सफलता प्राप्त करें।
नागरिकता संशोधन कानून का स्वागत करते हुए रायपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल ने कहा की सी. ए. ए. के प्रति भ्रम फैलाने के कई प्रायोजित कुत्सिक प्रयास किए गए परंतु अंततः अब नागरिकता संशोधन कानून की शक्ल में भारत में लागू कर दिया गया है। यह कानून हर उस व्यक्ति के लिए है जो भारत के पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक के रूप में जीवन यापन कर रहा है। हम सभी जानते हैं कुछ पड़ोसी देश ऐसे हैं जहां संख्या बल में में कमजोर होने के कारण उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जाता है। उनकी धार्मिक आस्था को भी तार तार किया जाता है। अब इस कानून के माध्यम से वे सभी प्रताड़ित भारत की नागरिकता प्राप्त कर अपने जीवन को स्थिरता प्रदान कर सकेंगे। इस कानून में जिस भी धर्म पंत के लोगो को भारतीय नागरिकता की मान्यता दी जाएगी वे सभी कहीं न कहीं कालांतर में भारत के मूलनिवासी ही रहे हैं।
यहां यह उल्लेखित करना अति आवश्यक है की 1947 के बंटवारा जो भौगोलिक आधार पर किया गया था। उसे कुछ पड़ोसी देशों ने अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के चलते धार्मिक आधार पर वहां के अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार करने लगे जिसकी वजह से प्रताड़ित होने के कारण लगातार वहां के अल्पसंख्यकों हिंदुओ , सिक्खों और अन्य धर्म के लोगो की जनसंख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई।
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