हाईकोर्ट जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने दिया इस्तीफा, भाजपा में होंगे शामिल

कोलकाता । कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में इस्तीफा दे दिया है। गंगोपाध्याय अब सियासी पारी की शुरू करने जा रहे हैं। सात मार्च को गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल होंगे। जस्टिस गंगोपाध्याय पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसकी सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणियों के लिए अक्सर चर्चा में रहे हैं। अब जब अभिजीत ने न्यायपालिका से अपनी पारी को विराम दे दिया है तो तृणमूल कांग्रेस ने उनको लेकर सवाल खड़े किए हैं।

इस्तीफा देने से पहले अभिजीत गंगोपाध्याय कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। गंगोपाध्याय ने कोलकाता स्थित ‘मित्र इंस्टीट्यूशन’ (मेन) से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के हाजरा लॉ कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। उसी समय वह ‘अमित्र चंद्र’ बंगाली थिएटर से भी जुड़े थे।

भ्रष्टाचार का हवाला देकर छोड़ी थी नौकरी
अभिजीत ने उत्तर दिनाजपुर जिले में पश्चिम बंगाल सिविल सेवा में बतौर ‘ए’ ग्रेड अधिकारी अपना करियर शुरू किया। हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि जिस भ्रष्टाचार की लड़ाई के कारण आज इस्तीफा दिया है, वर्षों पहले इसी वजह से उन्होंने अधिकारी की नौकरी से इस्तीफा दिया था। यहां से अभिजीत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में एंट्री हुई और उन्होंने वकालत करना शुरू कर दिया। उन्होंने 10 साल तक वकील के तौर पर काम किया।

2018 में बने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज
मई 2018 में अभिजीत गंगोपाध्याय कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए। जुलाई 2020 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए। अभिजीत गंगोपाध्याय इसी साल अगस्त में रिटायर होने वाले थे। भ्रष्टाचार को लेकर उनके कई निर्णयों और टिप्पणियों ने राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया। भ्रष्टाचार के मामलों में वे आक्रामक रवैये के साथ ऐतिहासिक फैसले देते रहे। वकालत के दिनों में वह शिक्षा से जुड़े मुद्दों को सामने रखते थे और बतौर जज भी उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में निर्णय सुनाए।

चर्चित निर्णयों की एक लंबी फेहरिस्त
न्यायमूर्ति के रूप में अभिजीत गंगोपाध्याय के कई निर्णयों के केंद्र में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग रहा। नवंबर 2021 से लेकर अभिजीत ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए कई निर्देश जारी किए। साल 2022 में अभिजीत के फैसले की वजह से 76 वर्षीय एक स्कूल शिक्षक का 25 साल का बकाया वेतन मिला। 2022 में ही एक आदेश के कारण कैंसर रोगी को मानवीय आधार पर शिक्षक की नौकरी मिली।

अभिजीत की एक टिप्पणी ‘मेरे हाथ बार-बार बांधे जा रहे हैं’ काफी चर्चा में रही। दरअसल, पश्चिम बंगाल स्कूल नौकरी घोटाले पर उनके द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णय पर कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने रोक लगा दी थी। इसके बाद उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर डिवीजन बेंच की कार्रवाई के संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश से हस्तक्षेप की मांग की थी। इसी समय एसएससी भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई जांच के आदेश के बाद टीएमसी कानूनी विंग के वकीलों ने अदालत में प्रवेश करने से उन्हें रोक दिया था। 2023 में उनके फैसले के चलते 1911 एसएससी ग्रुप डी नौकरियां रद्द कर दी गईं। बतौर न्यायाधीश अभिजीत ने अपने आदेश में कहा था कि इन सभी उम्मीदवारों की भर्ती गलत तरीके से की गई थी।

तो अब राजनीति में क्यों शामिल हो रहे जज?
सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में उनका आखिरी दिन रहा। मंगलवार को उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेज दिया। हाल ही में अभिजीत ने कहा था कि वह ‘बड़े मैदान’ में जाने वाले हैं। जब अभिजीत गंगोपाध्याय से इस्तीफे के कारण पूछे गए तो उन्होंने कहा, ‘मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के कई लोगों ने मुझे चुनौती दी। चुनौती के दौरान उन्होंने मुझे जो आह्वान किया, उसने मुझे यह निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। मैं इसके लिए सत्तारूढ़ दल को बधाई देना चाहता हूं।’

भाजपा में कब शामिल होंगे अभिजीत?
उनके लोकसभा चुनाव से पहले जज पद से इस्तीफे के फैसले ने तहलका मचा दिया है। राजनीतिक हलकों में पहले से इस बात की चर्चा थी कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि अभिजीत गंगोपाध्याय मेदिनीपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। इस्तीफे के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि 7 मार्च दोपहर को एक संभावित कार्यक्रम है, जब वह भाजपा में शामिल होंगे।’ उन्होंने कहा कि टीएमसी से भाजपा ही लड़ सकती है।