Paytm Update: पेटीएम को लेकर आया नया अपडेट, जानें SEBI के पूर्व अध्यक्ष M. Damodaran ने क्या कहा

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने 31 जनवरी 2024 को पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payments Bank) पर एक्शन लिया था। बैंक ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बैन करने का आदेश दिया। पहले इसकी समयसीमा 29 फरवरी थी जिसे अब बढ़ाकर 15 मार्च कर दिया गया है। इस एक्शन के बाद पेटीएम के मालिक वन97 कम्युनिकेशंस ने एक सलाहकार समिति का गठन किया है।

इस समिति के प्रमुख सेबी (SEBI) पूर्व अध्यक्ष एम दामोदरन (M. Damodaran) है। एम दामोदरन ने कहा कि हम सलाहकार समिति के संदर्भ की शर्तों से संबंधित मामलों पर समूह के साथ बातचीत कर रहे हैं। पैनल के सदस्य बाहरी सलाहकार हैं और फिलहाल पेटीएम आरबीआई के साथ काम में लगा हुआ है।

पेटीएम ने 9 फरवरी को दामोदरन की अध्यक्षता में एक समूह सलाहकार समिति की स्थापना की घोषणा की। कंपनी ने अनुपालन को मजबूत करने और नियामक मामलों पर कंपनी को सलाह देने के लिए समिति की स्थापना की है। इस समिति इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के पूर्व अध्यक्ष एम एम चितले और आंध्रा बैंक के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर रामचंद्रन भी हैं।

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) से किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए यूपीआई हैंडल ‘@paytm’ का उपयोग करने वाले पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ग्राहकों को 4-5 अन्य बैंकों में स्थानांतरित करने की संभावना की जांच करने के लिए कहा।

दामोदरन अपने पूर्व सहयोगियों में से एक द्वारा संकलित उनकी जीवनी ‘द टर्मरिक लट्टे’ (The Turmeric Latte) के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में जब दामोदरन से सेबी के कामकाज पर उनके विचारों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि पूंजी बाजार नियामक के पास बड़ी मात्रा में मुद्दों के संबंध में बैंडविड्थ (bandwidth) की समस्याएं हैं जिन्हें उसे संभालना है। इसके आगे वह कहते हैं कि सेबी के सामने एक बड़ी चुनौती है। बड़ी संख्या में मुद्दों से निपटने के लिए बैंडविड्थ अपर्याप्त लगती है।

द टर्मरिक लट्टे के बारे में

द टर्मरिक लट्टे त्रिपुरा कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी दिनेश त्यागी द्वारा लिखित पुस्तक है। दिनेश त्यागी पिछली बार सीएससी ई-गवर्नेंस के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्यरत थे। इस पुस्तक में पूर्व खान सचिव सुशील कुमार सहित दामोदरन के पूर्व सहयोगियों का योगदान है। पुस्तक में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (information and broadcasting ministry) में संयुक्त सचिव रहते हुए दामोदरन द्वारा लिए गए कुछ निर्णयों के लिए उन्हें मिली ‘धमकियों’ का भी जिक्र है।