PMGSY में गड़बड़झाला : मेजमेंट पहले हुआ, MB बाद में जारी…

कवर्धा,19 फरवरी  कबीरधाम जिला इन दिनों घपले घिताले को लेकर चर्चा में है। सड़क चोरी सहित फर्जी बिल व्हाउचर के मामले धीरे धीरे उजागर होने लगे है। प्राप्त जानकारीनुसार कबीरधाम जिले के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत पैकेज No. CG-09-122  पाण्डातराई से मड़मड़ा लडुवा तक सड़क निर्माण में काफी गड़बड़ियां हुई है। जानकारों के मुताबिक एमबी बुक आबंटन के पहले ही मेजमेंट रेकॉर्ड हो जाता है तो बीटी होने के बाद डामर खरीदी जैसे कारनामे पीएमजीएसवाय में फर्जीवाड़ों की पोल खोल रहे है। मामले को लेकर उच्चाधिकारियों से शिकायत भी जा रही है सत्ता बदलने के बाद अब सरकार भ्रष्टाचारीयो पर कार्यवाही करती है अथवा हमेशा की तरह सारा घपला घोटाला सेट हो जाता है…

मिली जानकारीनुसार उक्त पैकेज CG-09-122  पाण्डातराई से मड़मड़ा लडुवा तक सड़क निर्माण को लेकर कार्यपालन अभियंता द्वारा 10/03/2021 को एमबी जारी की गई किन्तु मूल्यांकन 16/01/2021 को दर्ज किया जाता है मतलब एमबी जारी होने के पहले ही मूल्यांकन कर दिया गया है जो संदेहास्पद है  जिसमे अधिकारी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है ।



इसी तरह डब्लू एम एम के साइड सोल्डर का मूल्यांकन आइटम नम्बर 3.12 (A) पेज नं. 35 से 37 किया गया है जिस पर सवाल खड़े किए जा रहे है। उक्त मूल्यांकन में WMM 22.50 से.मी. का होना है तो सोल्डर भी 22.50 से.मी. का होना था किन्तु 200 के दर का अतिरिक्त लाभ देने के लिए नही 3 से.मी. कम कर आइटम नम्बर 3.12 (B) में बढ़ा दिया गया है जिससे संबधित ठेकेदार को फायदा पहुँचाया जा सके। इसी तरह आइटम नम्बर 5.1 प्राइम कोट का मुल्यांकन पेज नं. 82 से 87 तक 15/12/2021 को किया गया जिसके अनुसार SS-1 कि आवश्यकता 22.057 टन बताया गया है । SS-1 के बिल उक्त दिनांक के पहले होना था किन्तु इसमें केवल एक बिल ही 06/12/2021 का है जिसका invoice no. 2201111119 है मात्रा 6.00 MT है बाकी दो बिल  04/01/2022 इनवॉइस नम्बर .2201111502 एवं 2201111500 है जिसे पेज नं. 37 पर इंद्राज किया गया है। गलती को छुपाने आइटम नम्बर 5.7 (ii) के मूल्यांकन कार्य में काट छाट भी गई है जिससे सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा ठेकेदार को लाभ पहुचाने की आशंका के चलते मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठने लगी है ।

इस मामले में जब पीएमजीएसवाय कबीरधाम के कार्यपालन अभियंता जितेंद्र कुमार मेश्राम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मामला काफी पुराना है, फाइल देख कर ही कुछ बता पाऊंगा।