आजकल पल भर में क्यों बदल जाते हैं रिश्ते, छोटी-सी बात कैसे कर देती है रिश्तों को खत्म, समझें ‘Love Guru’ से

नई दिल्ली। जागरण.कॉम ने प्यार के इस महीने में रेडियो सिटी के लव गुरु से रिश्तों को लेकर खास बातचीत की। उनसे समझा कि आखिर आजकल रिश्ते जल्दी या छोटी सी बात क्यों टूट जाते हैं। लोगों में धैर्य क्यों कम हो रहा है और उम्मीदों का पहाड़ और ट्रस्ट इशूज क्यों बढ़ते जा रहे हैं।

सवाल: आजकल रिश्ते तेजी से बदल जाते हैं, जैसे लोगों में प्यार और रिश्ते को लेकर सब्र कम होता जा रहा है। एक रिश्ते को छोड़ दूसरे रिश्ते में जल्दी से चले जाते हैं और फिर उम्मीदों के साथ ट्रेस्ट इशूज़ भी बढ़ जाते हैं। इस तरह के बदलावों के वजह से रिश्तों को निभाना मुश्किल हो जाता है और यह जल्द खत्म भी हो जाते हैं। ऐसे में आप क्या सलाह देंगे।

लव गुरु: मैं सबसे जरूरी बात से शुरुआत करना चाहूंगा। एक रिश्ते की शुरुआत कई सारी चीजों पर निर्भर करती है। फिर चाहे बात ट्रस्ट इशूज की हो या फिर एक स्थिर रिश्ते की। हमने ऐसे कई किस्से सुने हैं या सोशल मीडिया पर देखा है जहां दावा किया जाता है कि दो लोग एक पार्टी में मिले और उन्हें पहली नजर में ही प्यार हो गया।

पहली नजर में नहीं होता प्यार

अब आपको इसे समझने की जरूरत है कि पहली नजर में जो प्यार होता है वह सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि आप कैसे दिखते हैं। और जो रिश्ता लुक्स के तर्ज पर शुरू होता है, वह मान के चलिए कि उस रिश्ते में स्थिरता नहीं होगी और इसलिए वह लंबा नहीं चल पाएगा। मेरे हिसाब से प्यार एक प्रोसेस है, यह पलभर में हो जने वाली चीज नहीं है। इसकी नीव मजबूत रखी जाएगी तभी वह चल पाएगा।

आप जरा दो मिनट के लिए अपनी आंखें बंद करें और इमेजिन करें कि जब किसी से आपको वाकई में सच्ची वाली मोहब्बत हुई थी, तो आपका पहला encounter यकीनन अच्छा हुआ होगा। जिसके बाद आपको इस शख्स से दोबारा मिलने और बात करने की चाह दिल में उठी होगी। धीरे-धीरे यह जान पहचान अच्छी दोस्ती में तब्दील होती है। जहां लोग के दूसरे के साथ उठना-बैठना और कई बातें शेयर करना शुरू करते हैं। फिर आप उस शख्स को अंदर से पहचानने लगते हैं, वह दिल से कितना खूबसूरत है। वह दूसरे लोगों से कैसे पेश आता है। यह सारी तमामा बातें मायने रखती हैं।

धीरे-धीरे ही बढ़ता है रिश्ता

साथ जब उठना बैठना शुरू करते हैं, तो सामने वाले की सोच भी समझ आने लगती है। क्या शुरू में आपने उसे जैसा समझा, क्या वह वैसा ही है। आपको छोटी-छोटी चीजों में उसकी कमिटमेंट्स समझ आने लगती है। वे काम को लेकर कितने ईमानदार हैं। अगर उन्होंने आपको मिलने का समय दिया है, तो वे उसे लेकर कितने पाबंद या ईमानदार हैं। कहने का मतलब है कि उनके एक्शन और उनकी बातें मेल खाती हैं या नहीं। जो वो कहते हैं वह कर पाते हैं या नहीं। इस तरह से जब कोई रिश्ता आगे बढ़ता है तो लंबे समय तक चलता है।

पोजेसिव होना कितना सही?

अब जहां तक ट्रस्ट इशूज की बात है, तो वहां एक शब्द का खूब इस्तेमाल होता है, और वह है ‘पोज़ेसिव’। किसी भी रिश्ते में एक हद तक पोज़ेसिव होना जायज़ होता है। इससे एक इंसान का प्यार दिखता है और उसका अपनापन दिखता है। इससे पता चलता है कि एक इंसान आपके बारे में क्या सोचता है। हालांकि, पोज़ेसिवनेस अगर बढ़ जाए, तो यह पार्टनर को परेशान करने लगती है। ठीक वैसे ही जैसे खाने में नमक सबको चाहिए लेकिन ज्यादा नमक उसके स्वाद को खराब कर देता है। ऐसे ही पोज़ेसिवनेस भी एक हद तक ही ठीक लगती है।

क्यों बढ़ रहे हैं ट्रस्ट इशूज?

ट्रस्ट इशूज आजकल काफी बढ़ गए हैं, जिसके पीछे सोशल मीडिया एक बड़ा कारण है। आपने किसकी पोस्ट पर क्या कमेंट किया, किसकी पोस्ट को लाइक किया। इन सब चीजों की वजह से ट्रस्ट इशूज पैदा होते हैं। और मैं मानता हूं कि ट्रस्ट इशूज की बड़ी वजह यह ही है। साथ ही एक इंसान का माइंड सेट भी बहुत हद तक जिम्मेदार होता है। यानी आपका पार्टनर किस तरीके से सोचता है। आप जिस शख्स के साथ रिलेशनशिप में हैं, वह अगर ज्यादा सोशल है, ज्यादा एक्सट्रोवर्ट है, तो आपके बीच ट्रस्ट इशूज हो सकते हैं। इसलिए रिलेशनशिप में यादगार मोमेंट्स को शेयर करना बेहद जरूरी होता है।

लंबे समय तक न रखें बातों को दिल में

कई बार लोग कुछ चीजों को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं, उनके दिल में कई बातों को लेकर एक डर बैठा होता है। अगर हम इन तकलीफों और बातों को अपने मन में ही रखते हैं और शेयर नहीं करते है, तो यह भी रिश्ते में दरार पैदा करते हैं। इसलिए अपनी फीलिंग्ज़ को शेयर करना बेहद जरूरी है। वरना होता क्या है कि धीरे-धीरे जैसे ऑफिस की टेबल पर एक फाइल के ऊपर एक रखते जाते हैं, और एक दिन यह फाइलों का ढेर भार से गिर जाता है। यही वजह है कि आप जो महसूस करते हैं उसे शेयर करना जरूरी हो जाता है।

एक्सपेक्टेशन क्यों बढ़ती हैं?

बात अगर करें उम्मीदों की, तो भाई जिससे प्यार करते हो उससे ही तो उम्मीदों होंगी। उस व्यक्ति से अगर आप कुछ उम्मीदें रखते हैं, तो आप गलत नहीं हैं। लेकिन बहुत जल्दी बहुत सारी उम्मीदें होना या फिर अपनी उम्मीदों को किसी पर लाद देना सही नहीं है। यह कहना कि मैं ऐसी उम्मीद रखता हूं या रखती हूं, दरअसल यह हमारी एक्सपेक्टेशन नहीं होती है बल्कि हम अपनी कुछ पसंद और नापसंद दूसरों पर थोप रहे होते हैं। तो कुल मिलाकर ये कुछ बातें है। मुझे लगता है कि आप ऐसा रिश्ता चाहते हैं जो स्थिर हो, तो उसके लिए धैर्य रखना होगा। सही तरीके से रिश्ते की शुरुआत करें, यह बहुत जरूरी होता है।

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