ज्ञान-यज्ञ के पथ पर चलना है तो शिक्षक हो जाइए, सत्य की प्रेरणा से छात्रों को जगाइए – डॉक्टर संजय गुप्ता

कोरबा, 14 फरवरी । ट्रेंड टीचर्स की टीचिंग परफॉरमेंस काफी बढ़िया होती है क्योंकि वे अपनी ट्रेनिंग के दौरान विभिन्न टीचिंग मेथड्स, लर्निंग टेक्निक्स और ऑडियो-विजुअल एड्स के समुचित उपयोग के साथ स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी लेवल पर स्टूडेंट्स बिहेवियर के बारे में भी जरुरी और इफेक्टिव जानकारी हासिल कर लेते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार विद्यार्थियों के कौशल एवं समग्र विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। डिपार्टमेंट आफ स्किल एजुकेशन एवं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा फैशन स्टडीज विषय पर एक्टिविटी बेस्ड टीचर ट्रेनिंग दी जाएगी।


एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग एक एक्टिव टीचिंग लर्निंग मैथेडोलाजी है। लर्निंग मैथेडोलाजी का इस्तेमाल प्राइमरी एवं सेकेंडरी वर्ग के विद्यार्थियों की समझने की शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत जिले के सीबीएसई स्कूलों में विद्यार्थियों के कौशल एवं समग्र विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभिन्न विषयों के टापिक के अनुसार विद्यार्थियों के लिए एक्टिविटी का आयोजन किया जाता है। ताकि वह उस विषय को अच्छे से समझ सके एवं विषय से संबंधित सभी जानकारी उन्हें याद रहे। इस पद्धति की मदद से शिक्षण को अधिक रोचक बना सकते हैं। यह गतिविधियां छात्रों में एक्टिवनेस और स्मार्टनेस लाती हैं।एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग से विद्यार्थियों में स्किल्स डेवलप होती है जो कि उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग छात्र केंद्रित शिक्षण पद्धति है। यह बच्चों की इंद्रियों को उत्तेजित कर व्यवहारिक गतिविधियों में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसमें बच्चों का काम केवल नोट्स लेकर पढ़ने और सुनने का नहीं होता, बल्कि उन्हें कई अलग-अलग एक्टिविटीज के जरिये पढ़ाया और सिखाया जाता है।


इसका मकसद छात्रों को विविध ज्ञान और अनुभव प्रदान कराना है। जिससे उनके ज्ञान, कौशल और मूल्यों का निर्माण होता है। इसके अलावा प्रेजेंटेशन के माध्यम से भी एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस लर्निंग के मदद से विद्यार्थियों को किताबों के ज्ञान के अलावा अन्य कौशल जैसे संसाधनों का उपयोग करना, स्थितियों को हैंडल करना, बोलने व बातचीत करने का कौशल, रचनात्मकता का विकास भी होता है। इससे छात्रों के आत्मविश्वास का निर्माण होता है और वे कहीं पर भी खुद को साबित कर सकते हैं कि वे कितने काबिल हैं।एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से सीखने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस प्रक्रिया में खुद को शामिल करके छात्र कई चीजों को लंबे समय तक याद रख सकते हैं। यह शिक्षण पद्धति बच्चों को नए अनुभवों की तलाश करने, सीखने में रूचि पैदा करने, उनकी शब्दावली को मजबूत करने और नई किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। इससे कामों से छात्रों में जिज्ञासा और आलोचनात्मक सोच बढ़ती है। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों को यथार्थवादी समस्याओं और परिदृश्यों का पता लगाने और उन्हें हल करने के लिए प्रोत्साहित करती है। लर्निंग बच्चों को अपनी नालेज को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में प्री प्राइमरी के टीचर्स के लिए विशेष रूप से टीचर्स ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इस ट्रेनिंग सेशन में मिसेज निहारिका शर्मा ( प्रोडक्ट हेड गुडलक पब्लिकेशन ) बतौर ट्रेनर के रूप में सरीख हुई। इस टीचर्स ट्रेनिंग सेशन में प्राइमरी एवं प्री प्राइमरी के सभी शिक्षिकाओं ने अपनी सहभागिता निभाई। श्रीमती निहारिका शर्मा ने विभिन्न प्रकार के अवधारणा के द्वारा शिक्षिकाओं को बेहतर शिक्षण हेतु सुझाव दिए। श्रीमती निहारिका शर्मा ने बताया कि यदि हमें बच्चों को बेहतर शिक्षा देना है तो हमें शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की मनःस्थिति को समझनी होगी। हमें विद्यार्थियों को रटाने के स्थान पर समझाने व कुशलता प्रदान करने पर ज्यादा ध्यान देना होगा। हमें बच्चों को बच्चा बनकर सिखाना होगा।न हमें उन्हें डराना है और ना ही धमकाना है।हमे वापस अपने बचपन को जीना होगा।याद रखिए आप डरा या धमकाकर किसी बच्चे को सर्कस के किसी जीव की तरह अवश्य नचा सकते हैं लेकिन सिखा नहीं सकते। हमें अपने टीचिंग मेथड में विभिन्न प्रकार के टीचिंग एड्स का अधिक अधिक उपयोग करना चाहिए। हमें एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग पर विशेष फोकस करना चाहिए। हमें बच्चों को कर के सीखने हेतु प्रेरित करना चाहिए। क्योंकि प्राइमरी और प्री प्राइमरी के बच्चे की दुनिया अलग होटी है पता हमें ज्यादा से ज्यादा प्ले मेथड का भी उपयोग करना चाहिए। छोटे-छोटे टास्क देकर हमें उनकी स्पीकिंग एबिलिटी को भी डेवलप करना चाहिए। हमें याद ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा हर समय कुछ ना कुछ करना या सीखना चाहता है हमें कभी भी उनके सीखने पर रोड नहीं अटकना चाहिए। अल्टीमेटली हम एक टीचर हैं और टीचर का काम ही सीखना और सीखना है हमें यहां कभी नहीं भूलना चाहिए। छोटे बच्चों को आप कितना भी कोशिश कर लो आप शांत नहीं कर पाओगे क्योंकि वह अपने बचपन की दुनिया में है। जैसे-जैसे वह बड़े होते हैं वह स्वतः ही समझने लग जाते हैं कि कब हमें बोलना है और कब हमें चुप होना है।तो आप भी बचपन में लौट जाओ ।बचपन को खूब जियो। बच्चों के साथ बच्चे बन जाओ। उन्हीं के साथ खेलते खेलते उन्हें सीखा डालो।
इस ट्रेनिंग सेशन में इंडस पब्लिक स्कूल के प्राइमरी एवं प्री प्राइमरी की शिक्षिकाओं श्रीमती रूमकी हालदार, श्रीमती स्वाति सिंह, श्रीमती मौसमी महंता, श्रीमती मधु चंदा पात्रा, सुश्री अनम अंसारी, सुश्री स्मृति रेखा साहू, श्रीमती सुमाना बुनिया, सुश्री सुष्मिता सहित विद्यालय की प्री प्राइमरी कोऑर्डिनेटर श्रीमती सोम सरकार उपस्थित थे।
विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि टीचिंग ट्रेंनिंग सेशन के माध्यम से न सिर्फ हम अपने इनर टैलेंट को और भी ज्यादा तरह सकते हैं अपितु हमें टीचिंग के नए-नए मैथरड के भी बारे में जानकारी मिलती है। मेरा मानना है कि यदि हम टीचिंग के विभिन्न मैथड,विभिन्न टीचिंग एड्स के बारे में समय-समय पर अपडेट नहीं होते रहेंगे तो शायद हम अपना बेहतर बच्चों को नहीं दे पाएंगे। बच्चों को बेहतर ज्ञान देने के लिए शिक्षक के पास भी बेहतर ज्ञान होना आवश्यक है। क्योंकि एक अच्छे शिक्षक की छवि विद्यार्थी ताउम्र याद रखता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमें अपने ज्ञान की वजह से ही सम्मान मिलता है। हमें सतत सीखने का प्रयास करना चाहिए ।अपने ज्ञान को और भी ज्यादा तराशने का प्रयास करना चाहिए। टीचर्स ट्रेनिंग सेशन से न सिर्फ हमें नई-नई चीज़ सीखने को मिलती है अपितु हममें आत्मविश्वास का भी संचार होता है। यह हर दृष्टिकोण से हम सबके लिए लाभदायक होता है। हम विभिन्न नई-नई चीजों की जानकारी प्राप्त करते हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है। हम जिंदगी भर सीखते हैं और हमें सीखते रहना चाहिए। जिस दिन हमने सीखना बंद कर दिया समझो हमारे ज्ञान पर उसी दिन विराम लग गया।