सक्ती, 20 मई 2024। जिले के ग्राम देवरमाल मे राखड़ माफिया खुलेआम शासकीय तालाबों को राखड़ से पाट रहे हैं। इसकी शिकायत कई बार कलेक्टर और स्थानीय प्रशासन से की गई है। तालाब में राखड़ डालने के एवज में सरपंच को लाखों रुपए की कमाई हो जाती है। खास बात यह है कि सरपंच प्रतिनिधि का कहना है कि उन्होंने इसके लिए एसडीएम से अनुमति ली है। दरअसल, देवरमाल गांव के सरपंच ने विकास कार्य के नाम पर गांव के तालाब को राखड़ माफिया के हाथ बेच दिया है। तालाब में अब तक सैकड़ों डंफर राखड़ डाला जा चुका है। अब जब मामला सामने आया तो सरपंच प्रतिनिधि ने बताया कि एसडीएम केएस पैकरा से परमिशन लेकर तालाब को पाटा जा रहा है।
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ग्रामीण ने लिखित शिकायत में बताया है कि इस शासकीय तालाब निर्मित है, जिसमें रोजगार गारंटी के तहत खुदाई हुआ है। इसमें मोहल्लेवासी के नहाने से लेकर पशुओं को नहलाने हर प्रकार से निस्तारी करते हैं। इसमें ग्राम पंचायत सरपंच नर्मदा बाई के पति द्वारा बलपूर्वक राखड़ पटवाया जा रहा है। साथ ही वनों की कटाई भी की जा रही है। बीते 20 दिनों से यह कार्य जारी है। इस संबंध में सरपंच के भतीजे देवारी लाल जायसवाल से ने बताया कि राखड़ पटवाने के लिए बाकायदा एसडीएम–तहसीलदार से परमिशन लिया गया है। भले ही इससे पहले गांव के एक डबरी को बिना परमिशन के पटवाया था। मंडी के लिए जगह नहीं होने के कारण तालाब को पाटकर मंडी बनवाया जाएगा। इसके साथ ही यहां सालों-साल तक रोजगार गारंटी का कार्य भी हुआ है। सक्ती एसडीएम केएस पैकरा ने कहा कि तालाब में राखड़ डाला जा रहा है, तो उसकी जांच करवा लेते हैं। अगर गलत हो रहा है तो कार्रवाई करेंगे। तालाब पाटने की अनुमति देने के सवाल पर बोले कि हो सकता है कि अनुमति दी गई हो।
कलेक्टर के आदेश की उड़ रही धज्जियां
सक्ती कलेक्टर अमृत विकास टोपनो ने जिले के सभी अधिकारियों को राखड़ माफिया पर सख्त कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया है। इसके बावजूद इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। अधिकारी छोटी-मोटी कार्रवाई कर खानापूर्ति कर रहे है, जिससे राखड़ माफिया का मनोबल बढ़ रहा है। जानकारों का कहना हैं कि एक गाड़ी के पीछे सरपंचों को 500 रुपए तक मिल रहा है, इसलिए गांव के सूखे पड़े तालाबों को सरपंच माफियाओं को सौंप रहे हैं। राखड़ के सौदागरों से मिलकर गांव के सरपंच गांव की खाली पड़ी जमीन, नदी-नालों का सौदा कर मोटी रकम कमा रहे हैं।
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