KORBA :एल्यूमिनियम उत्पादन के साथ अब कोरबा में तैयार होंगे लघु उत्पाद

कोरबा,10 फरवरी । वर्ष 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में बाल्को विनिवेश के दौरान एल्यूमिनियम पार्क बनाने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2005 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने पहली बार एल्यूमिनियम पार्क बनाने की घोषणा बजट में की, पर यह योजना अभी तक धरातल पर नहीं आ सकी, क्योंकि अब तक जमीन नहीं मिल सकी। अब एक बार फिर राज्य की भाजपा सरकार ने एल्यूमिनियम पार्क बनाने की घोषणा करने के साथ ही पांच करोड़ का प्रविधान रखा है। इससे क्षेत्रवासियों में उम्मीद की किरण जागी है। जिले में एल्यूमिनियम उत्पादन होने के साथ ही अब कोरबा में लघु उत्पाद भी तैयार होंगे।

एल्यूमिनियम पार्क ऐसा औद्योगिक क्षेत्र होगा, जहां एल्यूमिनियम से बनने वाले विभिन्न प्रोडक्ट की इकाइयां लगेंगी। वैसे तो कोरबा में बड़े-बड़े पावर प्लांट व कोयला खदानें है। जहां तक छोटी औद्योगिक इकाईयों का प्रश्न है तो केवल कोरबा में रजगामार रोड पर पांच दशक पहले विकसित किया गया इंडस्ट्रीयल एरिया ही है। एल्यूमिनियम पार्क बनने से जरूरी कच्चा माल विशेष रूप से एल्यूमिनियम बाल्को से मिल जाएगा। इसकी मुख्य वजह यह है कि वर्तमान में बाल्को में 5.75 लाख टन से भी ज्यादा एल्यूमिनियम का उत्पादन होता है और उसे बाहर भेज दिया जाता है। स्थानीय स्तर पर लघु इकाइयां होने से न केवल रोजगार का सृजन होता बल्कि क्षेत्र का विकास भी होता।

एल्यूमिनियम पार्क स्थापना में सबसे बड़ी बाधा जमीन का नहीं मिलना रहा है। पार्क के लिए ग्राम दोंदरो में 192 हेक्टेयर भूमि चिंहित की गई थी, पर बाद में वन विभाग ने देने से इंकार कर दिया। वन विभाग का कहना है कि इस भूमि में 152 हेक्टेयर भूमि में सघन वन क्षेत्र है और वन संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन होगा, जिला उद्योग विभाग ने जमीन आवंटन के लिए पत्राचार किया था। इसके पहले ग्राम सोनपुरी और रूकबहरी में भी जमीन चिन्हित की गई थी, लेकिन ग्रामसभा के दौरान ग्रामीणों के से विरोध किए जाने से योजना पर आगे काम नहीं हो सका। कलेक्टर गौरव द्विवेदी के कार्यकाल में हरदीबाजार क्षेत्र के ग्राम नूनेरा में जमीन चिंहांकित की गई थी, पर यहां भी बड़े झाड़ का जंगल बता दिया गया और मामला लटक गया। आखिरी में रिसदी स्थित देबू पावर प्लांट की जमीन में पार्क स्थापना की प्रक्रिया आगे बढ़ी, पर प्रस्तावित जमीन शासन को वापस होने व संयंत्र स्थापित होने की बात सामने आई।

तदुपरांत इसके बाद बिलासपुर, राजनांदगांव व जांजगीर चांपा जिले के कोटमीसोनार में एल्यूमिनियम पार्क बनाने की मुद्दा भी सामने आया, लेकिन रा-मटेरियल इतनी दूर ले जाना संभव नहीं होने पर यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया। यहां बताना होगा कि जिले में एल्यूमिनियम का उत्पादन होने पर एल्यूमिनियम पार्क स्थापना की योजना कांग्रेस शासनकाल में बनाई गई थी, ताकि एल्यूमिनियम से संबंधित लघु उद्योगों को बढ़ावा मिल सके। भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में पार्क बनाने के लिए राज्य सरकार और बालको के मध्य समझौता भी हुआ था, इसके बाद भी योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।

कब क्या हुआ

वर्ष 2001 में बाल्को विनिवेश करार में एल्यूमिनियम पार्क बनाने का उल्लेख था, उस वक्त प्रदेश में प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की कांग्रेस सरकार थी।
वर्ष 2005 में प्रदेश के बजट में पहली बार एल्यूमिनियम पार्क बनाने घोषणा की गई। उस वक्त प्रदेश में डा रमन सिंह की अगुवाई में भाजपा सरकार काबिज थी।
वर्ष 2007 में सीएम डा रमन सिंह व वेदांता चेयरमेन अनिल अग्रवाल की मौजूदगी में 1200 मेगावाट पावर प्लांट व स्मेल्टर के एमओयू के दौरान भी एल्यूमिनियम पार्क की घोषणा की गई।
वर्ष 2008 में रायपुर में कैंसर हास्पिटल के भूमिपूजन के दौरान एक बार फिर एल्यूमिनियम पार्क बनाने की घोषणा की गई।
वर्ष 2010 में कहा गया कि कोरबा में जमीन नहीं मिल रही है, इसलिए एल्यूमिनियम पार्क राजनांदगांव में बनाया जाएगा।
इसके बाद कहा गया चांपा-जांजगीर जिले के कोटमीसोनार में एल्यूमिनियम पार्क में बनाया जाएगा, इसके लिए जमीन का चयन कर लिया गया है, पर योजना नहीं हुई।


लिक्विड एल्यूमिनयम से निर्माण लागत कम

एल्यूमिनियम पार्क में स्थापित लघु इकाइयों को बाल्को से कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो जाता। लिक्वड एल्यूमिनियम बाल्को द्वारा उपलब्ध कराए जाने से लघु उद्योगपतियों को अतिरिक्त इकाई स्थापित नहीं करना पड़ता। इससे एल्यूमिनियम से संबंधित उत्पाद निर्माण में ज्यादा दिक्कत भी नहीं आती। वर्तमान में सिल्ली या प्लेट के रूप में एल्यूमिनियम बाहर भेजा जाता है, जहां उसे गला कर अन्य उत्पाद बनाए जा रहे हैं।

वित्त मंत्री चौधरी व श्रम मंत्री देवांगन से बंधी उम्मीद

प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बजट में एल्यूमिनियम पार्क की पुन: घोषणा करने के साथ ही राशि भी स्वीकृत कर दी है। इससे क्षेत्रवासियों को वित्त मंत्री व श्रम मंत्री से उम्मीद बंध गई है कि जिले में पार्क की स्थापना की जाएगी। वहीं क्षेत्रीय विधायक व श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन भी इस उद्योग को स्थापित करने में अपना सहयोग प्रदान करते हुए जमीन उपलब्ध कराएं, ताकि पार्क स्थापना में किसी तरह की दिक्कत न आए।