उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 2016 में चलती ट्रेन में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसे ट्रेन से फेंकने के मामले में स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए रेल मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. अदालत ने पूछा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी और न्यायमूर्ति बी.आर. सिंह की खंडपीठ ने मऊ में हुई उक्त घटना पर दायर स्वत: संज्ञान याचिका पर सोमवार को उक्त आदेश पारित किया.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि घटना की पीड़िता को चार लाख रुपये मुआवजे में से दो लाख 81 हजार रुपये दिये गये हैं. इस पर अदालत ने पूछा कि अब तक बाकी रकम क्यों नहीं दी गई. मामले की अगली सुनवाई मार्च के पहले हफ्ते में होगी.
बता दें, देश में सख्त कानून होने के बावजूद रेप के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. चलती ट्रेनों में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. हाल ही में राजस्थान के चुरू में भी चलती ट्रेन के अंदर 28 साल की महिला के साथ रेप की घटना सामने आई थी. यहां एक शख्स ने महिला को यह कहकर मिलने के लिए बुलाया कि उसके भाई को किडनैप कर लिया गया है. अगर वो चाहती है कि उसके भाई को कोई नुकसान न पहुंचे तो उसके लिए उसे वही करना होगा जो वो चाहता है. मजबूर होकर महिला उससे मिलने पहुंची. वहां, शख्स उसे जबरदस्ती ट्रेन में बैठाकर जयपुर ले जाने लगा. इस दौरान जब महिला ट्रेन के अंदर शौच के लिए गई तो शख्स ने चाकू के दम पर उससे रेप किया.
पैसेंजर ट्रेन में AC कोच के अंदर महिला से रेप
इसी तरह का मामला मध्य प्रदेश के सतना से भी सामने आया था. यहां दिसंबर 2023 में एक पैसेंजर ट्रेन के अंदर 30 साल की महिला से रेप किया गया. दरअसल, जब रेप की वारदात को अंजाम दिया गया, उस समय ट्रेन लगभग खाली थी. महिला को सतना के ही उचेहरा तक जाना था. इस दौरान एक शख्स उस पर लगातार नजर बनाए हुए था. जबकि, महिला इस बात से बिल्कुल अंजान थी. महिला इस दौरान जैसे ही शौचालय जाने के लिए AC कोच में जाने लगी तो वो शख्स भी उसे पीछे-पीछे जाने लगा. जैसे ही शख्स ने देखा कि उस कोच में कोई भी नहीं है तो उसने कोच का दरवाजा बंद किया और महिला से रेप की वारदात को अंजाम दिया.
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