बिलासपुर,03 फरवरी । वन विभाग के शहद की मिठास से तो हर कोई वाकिफ है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि किनके परिश्रम से यह शहद की मिठास घर-घर तक पहुंचती है। वह कोई और नहीं बल्कि वह स्वसहायता समूह की वह 11 महिलाएं हैं जो सुबह 10 बजे से लेकर शाम तक गांव-गांव से आने वाले कच्चे शहद को एकत्र कर प्रसंस्करण करती हैं। इसके बाद बाटलिंग और पैकेजिंग कर बाजार में बेचने लायक तैयार करती हैं। विभाग इन महिलाओं की कार्यशैली से इतना प्रभावित है कि आवश्यकता पड़ने पर सहयोग भी करता है। यही मदद उनके लिए प्रोत्साहन का काम करती है।
कानन पेंडारी जू परिसर में वन विभाग का काफी बड़ा शहद प्रसंस्करण केंद्र है। वर्ष 2008 से संचालित इस केंद्र में एक दर्जन से अधिक गांवों से कच्चा शहद पहुंचता है। इसके बाद कई प्रक्रियाएं होती हैं, तब जाकर शहद खाने योग्य तैयार होता है। इस प्रसंस्करण केंद्र में कई महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इनके संचालन का जिम्मा एक पुरुष कर्मचारी के पास है। वह मशीनों को आपरेटर करता है। अन्य कार्यों के लिए विभाग ने जय मां महिला स्वसहायता समूह को जिम्मेदारी सौंप रखी है। इस समूह में 11 महिलाएं हैं।
जिनके द्वारा बाटल की धुलाई इसके बाद उनमें शहद डालना फिर वजन करने का काम करती हैं। यह कार्य पूरा होने के बाद पैकेजिंग करती हैं। इतनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही प्रसंस्करण केंद्र वन मंडल कार्यालय परिसर स्थित संजीवनी विक्रय केंद्र में स्टाक पहुंचता है। यहीं से शहर और प्रदेश के अन्य जिलों में बाटल बंद शहद की सप्लाई होती है। काम के दौरान इन महिलाओं की सजगता देखते बनती है।
बाटलिंग से लेकर पैकेजिंग के दौरान आपस में एक- दूसरे बात तक नहीं करती हैं। उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि काम में देरी हुई तो स्टाक बाजार तक नहीं पहुंच सकेगा। इसके चलते नुकसान भी हो सकता है। पैकेजिंग के दौरान सफाई का खास ध्यान भी रखती है। सभी बालों को ढककर रखती है, ताकि किसे बाटल पर बाल नहीं चला जाए, इससे ग्राहकी पर असर पड़ सकता है।
जानिए कहां-कहां से आता है शहद
कानन पेंडारी स्थित शहद प्रसंस्करण केंद्र में कच्चे शहद की आवक लोरमी, खुड़िया, बेलगहना, कोटा, शिवतराई व निरतू समेत आसपास के गांवों से होती है। विभाग कच्चे शहद को समर्थन मूल्य पर खरीदता है। ऐसी व्यवस्था कर विभाग रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है।
सैलरी के साथ कमीशन देने का प्रविधान
वन विभाग की ओर से इन महिलाओं को इस काम के बाद सैलरी दी जाती है। इसके अलावा बिक्री के आधार पर कमीशन भी देते हैं। यही वजह है कि महिलाएं इस काम को मन लगाकर पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। वर्ष 2023 में प्रसंस्करण केंद्र विभाग को बिक्री के लिए 64 लाख रुपये का शहद उपलब्ध कराया गया। जिस तरह महिलाएं कार्य कर रही हैं विभाग का मानना है कि आंकड़ा और बढ़ेगा। शहद की आवक बढ़ाने के लिए गांव-गांव में विभाग का अमला प्रेरित करता है।
जैविक प्रमाणिकरण के नियमों का शत प्रतिशत पालन
वन विभाग का शहद कितना शुद्ध है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां की कार्यशैली को देखते हुए ही जैविक प्रमाणिक सर्टिफिकेट दिया गया है। वर्तमान में प्रमाणिकरण के नियमों के अनुरूप ही शहद की प्रोसेसिंग होती है।
पैकेजिंग का बदला तरीका
वर्तमान में कानन पेंडारी जू परिसर स्थित शहद प्रसंस्करण केंद्र पैकेजिंग का तरीका बदला गया है। यहां से 300 ग्राम, 600 ग्राम, 800 ग्राम और 1200 ग्राम से लेकर पांच किग्रा तक वजन में पैकेजिंग की जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि बाजार में इन सभी वजन की बाटल की मांग है।
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