कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान देश में सोने की मांग वार्षिक आधार पर तीन प्रतिशत घटकर 747.5 टन रही है, जो 2022 में 774.1 टन थी। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कीमतों स्थिर रहती हैं और बहुत अधिक अस्थिर नहीं होती हैं तो 2024 में देश में सोने की मांग बढ़कर 800-900 टन के बीच रह सकती है।
अक्टूबर में बिक्री को बढ़ावा
डब्ल्यूजीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2023 के दौरान सोने की मांग बढ़ती कीमतों से काफी प्रभावित रही है। हालांकि, इस दौरान उपभोक्ता की रुचि अधिक रही लेकिन व्यापार धारणा पिछड़ गई। अक्टूबर में नवरात्र के दौरान कीमत में सुधार ने उपभोक्ताओं को प्रेरित किया, जिससे नवंबर में दीवाली के दौरान बिक्री को बढ़ावा मिला।
डब्ल्यूजीसी इंडिया के सीईओ सोमासुंदरम पीआर ने कहा कि दिसंबर में मूल्य बढ़ने से सोने की मांग एक बार फिर कम हो गई। इसका नतीजा यह रहा है कि चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) के दौरान सोने की कुल मांग में नौ प्रतिशत की गिरावट रही है।
2023 में 5% कम हुई सोने की मांग
इसी तरह पूरे 2023 के दौरान वैश्विक स्तर पर भी सोने की मांग पांच प्रतिशत घटकर 4,448.4 टन रही है, जो 2022 के दौरान 4,699 टन रही थी। डब्ल्यूजीसी का कहना है कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से लगातार निकासी के चलते वैश्विक स्तर पर सोने की मांग में कमी रही है। यूरोप में सोने की मांग में सबसे कम 180 टन रही है, जो 2013 के बाद का सबसे खराब वार्षिक प्रदर्शन है।
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