नई दिल्ली। भारत और फ्रांस ने अपनी रणनीतिक साझीदारी को नयी ऊंचाई देते हुए रक्षा औद्योगिक रोडमैप जारी किया है जिसमें अंतरिक्ष, समुद्र में सतह एवं पानी के नीचे, जमीनी मोर्चे में काम आने वाले अत्याधुनिक हथियारों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), रोबोटिक्स, साइबर प्रतिरक्षा क्षेत्र में संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास और उत्पादन के साथ रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण की रूपरेखा तय की गई है।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भारत की राजकीय यात्रा पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यह संक्षिप्त यात्रा परिणामों की दृष्टि से बहुत वजनदार और ठोस रही है। दोनों नेताओं के बीच चर्चा के विषयों में हमारी द्विपक्षीय साझीदारी में प्राथमिकताओं पर फोकस होने के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर परस्पर हितों से जुड़े और महत्वपूर्ण मुद्दे भी शामिल हैं।
श्री क्वात्रा ने परिणामों की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों नेताओं के बीच जयपुर में रात्रिभोज के दौरान बैठक में जिन मुद्दों पर पर सहमति बनी है उनमें पहला भारत-फ्रांस रक्षा औद्योगिक रोडमैप, दूसरा- रक्षा अंतरिक्ष साझेदारी पर एक समझौता, तीसरा- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) और एरियनस्पेस के बीच उपग्रह प्रक्षेपण के संबंध में एक समझौता ज्ञापन, महत्वपूर्ण स्वदेशी और स्थानीयकरण घटक के साथ एच-125 हेलीकॉप्टरों के उत्पादन के लिए टाटा और एयरबस हेलीकॉप्टरों के बीच एक औद्योगिक साझेदारी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के बीच समझौते के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल सहयोग पर दोनों देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच एक समझौता, शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान, इसमें डिजिटल स्वास्थ्य का क्षेत्र और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग शामिल है। उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति हुई है कि वर्ष 2026 को भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
भारत-फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग पर विदेश सचिव ने कहा, दोनों देश रक्षा औद्योगिक रोडमैप अपनाने पर सहमत हुए हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस रोडमैप के जरिए रक्षा सहयोग की प्राथमिकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में साझीदारी के अवसर, जो सह-डिज़ाइनिंग, सह-विकास, सह-उत्पादन को प्राथमिकता देते हैं और दोनों देशों के बीच रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण भी करते हैं ताकि वे न केवल भारत और फ्रांस की रक्षा जरूरतों को पूरा कर सकें, बल्कि अन्य देशों के साथ सुरक्षा साझीदारी में भी उपयोगी योगदानकर्ता बनें जो समान उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं।
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