कोरबा, 13 जनवरी। हर घर नल ,हर घर जल के नारों के साथ मार्च 2024 तक हर घरों को शुद्ध पानी पहुँचाने की पीएम मोदी की मंशा छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में धूमिल होती नजर आ रही । केंद्रीयकृत यह योजना अफसरों एवं ठेकेदारों की जुगलबंदी से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है । एक फर्म 33 पंचायतों में स्वीकृत 35 करोड़ का कार्य कर रहा ,फर्म को 10 करोड़ से अधिक का भुगतान भी हो चुका है ,बावजूद योजना के तहत कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता एवं गति में अपेक्षित प्रगति नहीं आई। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह के 3 दिवसीय कोरबा प्रवास के पूर्व दिवस हमारी की टीम के पड़ताल में फर्म के दोयम दर्जे के कार्यों एवं विभागीय अमलों की उदासीनता से आहत जल संकट से जूझ रहीं माताओं ने कार्यों की पोल खोलते हुए शासन प्रशासन से त्वरित सार्थक पहल की गुहार लगाई है ,ताकि भीषण गर्मी से पहले उन्हें पीएम मोदी की मंशानुरूप घर में ही शुद्ध जल की आपूर्ति हो सके।
जी हां हम बात कर रहे जिले में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत कार्य कर रहे ,ब श्रेणी के फर्म मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा की । जिले के सबसे बड़े इस फर्म को कोरबा के अलावा बिलासपुर और अम्बिकापुर जिले में भी जल जीवन मिशन का कार्य मिला है । लेकिन बात करें आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले की तो इस फर्म को कोरबा के कोरबा ब्लॉक के छोंड़ सभी ब्लाकों के 33 पंचायतों में कांग्रेस शासनकाल में कार्य आबंटित हुआ है। जिसमें सबसे ज्यादा कार्य पाली ब्लॉक से है यहां 19 पंचायतों कोरबी ,बतरा,हाथीबडी ,बम्हनीखुर्द, बड़ेबांका,पोलमी,चैतमा ,चटुआभौना ,पोंडी ,बनबांधा ,पोटापानी ,बगदरीडांड ,
कुटेलामुड़ा,डोंगानाला,ईरफ,मुनगाडीह, शिवपुर, कांजीपारा एवं बम्हनीकोना शामिल है। बात करें कटघोरा ब्लॉक की तो यहां भी फर्म को जल जीवन मिशन के 10 कार्य आबंटित हुए हैं इनमें मड़वामौहा ,जवाली,पुरेनाखार,डिंडोलभांठा,लोतलोता ,बिसनपुर ,बिरवट ,तेलसरा , नवागांव कला एवं झाबू शामिल हैं। करतला विकासखण्ड से फतेगंज ,चारमार एवं अमलडीहा तो पोंडी ब्लॉक से फर्म को सखोदा का भी कार्य आबंटित हुआ है।उपरोक्त कार्यों के एवज में फर्म को 10 करोड़ 21 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान हो चुका है । बावजूद कार्य 50 फीसदी भी अभी पूरा नही हुआ । कांग्रेस शासनकाल में अफसरों एवं माननीयों की विशेष कृपा से फर्म को रेवड़ी की तरह कार्य आबंटित तो कर दिया गया ,लेकिन फर्म की फील्ड पर परफार्मेन्स एवं प्रगति की सुध लेना पूर्ववर्ती भूपेश सरकार भूल गई । आलम यह है कि एक भी पंचायत में कार्य की प्रगति ऐसी नही है कि पीएम मोदी की मंशानुरूप मार्च 2024 तक योजना पूर्ण कर जलापूर्ति शुरू की जा सके। यही नहीं कार्य गुणवत्ता एवं तक तकनीकी मापदण्डों की अनदेखी को लेकर भी जनाक्रोश पनप रहा।
कहीं गढ्ढा खुदा तो कहीं नल कनेक्शन सफेद हाथी बना ,कुएं हैंडपंप से बुझ रही हितग्राहियों की प्यास,पड़ताल में दिखे निराश
हमारी टीम ने कटघोरा ब्लॉक के एक एवं पाली ब्लॉक के 3 ग्राम पंचायतों में फर्म मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा द्वारा कराए जा रहे कार्यों की पड़ताल कर लेकर जनता की राय जानी। जहां सर्वप्रथम कटघोरा ब्लॉक के लोतलौता में टीम पहुंची।
यहां फर्म द्वारा पाइप लाइन बिछाकर कार्य आधा अधूरा छोंड़ दिया गया है माताओं शुकवारा बाई ,सुशिला (पानी भरने कुंआ पहुंची)ने इसको लेकर गहरी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना था कि फर्म के इस तरह कार्य रोक कर रखने की वजह से उन्हें घर तक जल पहुंचने के लिए इंतजार करना पड़ रहा। निस्तारी के लिए कुंआ पर आश्रित रहना पड़ रहा।
उन्हें आज तक इस योजना के अधिकारियों के दर्शन नहीं हुए। यहां फर्म को 48 लाख से अधिक का भुगतान होने की बात विश्वस्त सूत्रों से मिल रही। 73 लाख से अधिक का भुगतान हो चुके चैतमा के स्वीकृत योजना के लिए भी फर्म के प्रति नाराजगी दिखी हितग्राही आशा कुसरो ने बताया कि नल तो लगाया गया है लेकिन एक दिन भी नहीं आया जल । अधिकारी कर्मचारी भी सुध लेने नहीं आए। पाली ब्लॉक के ग्राम पंचायत पोलमी में भी स्वीकृत कार्य के लिए 50 लाख से अधिक का भुगतान हो चुका। लेकिन यहां भी कमोबेश चैतमा जैसा ही नजारा दिखा। ग्रामीणों के घरों के बाहर पक्के स्ट्रक्चर के साथ नल तो लगाया गया है लेकिन न नल में टोंटी लगी न आज तक जल मिला। पानी टंकी भी आधी अधूरी है ।
कुंआ,हैण्डपम्प पर आश्रित दर्रापारा की नंदिनी राज एवं श्रीमती मंदाकिनी ने कहा कि योजना शुरू की गई तो उन्हें आश बंधी थी कि घर तक शुद्ध जल मिलेगा लेकिन काम आधा अधूरा छोंड़ दिया गया। पेयजल की बड़ी किल्लत से जूझ रहे ,गर्मी के दिनों में यह समस्या और बढ़ जाएगी।
उन्होंने कहा कि अगर पीएम की मंशा हमारे घर तक शुद्ध जल पहुंचाने की है तो इसके लिए ईमानदार कोशिश होनी चाहिए। जल्द से जल्द हमें पानी मिले यही आग्रह है।अगले पड़ाव में हमारी टीम बतरा पहुंची ,यहां फर्म को स्वीकृत कार्यों के लिए सबसे ज्यादा 1 करोड़ 32 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान होने की जानकारी मिली। लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य की गुणवत्ता और गति की जो तस्वीर दिखी वाकई सबसे ज्यादा हतोत्साहित एवं निराशाजनक लगी।
किसी पारा में जलापूर्ति हेतु पाइप डालकर छोंड़ दिया गया है तो किसी पारे में खुदाई तक नहीं हुई । नल कनेक्शन तो कहीं नजर ही नहीं आए ।हितग्राही माताएं करिलिया बाई बसंती के मोहल्ले में गढ्ढा खुदाई कर छोंड़ दिया गया है , तो एकांति पात्रे, राजकुमारी रात्रे के मुहल्ले में पाइप डालकर अधूरा छोंड़ दिया गया है। दफ्तर में बैठे कार्यों का मूल्यांकन एवं सत्यापन कर रहे सब इंजीनियरिंग ,एसडीओ की वजह से कार्य ठप्प पड़ा है। हितग्राहियों ने बताया कि यह अत्यंत निराशाजनक है कि कोई ऐसी योजनाओं की सुध लेने वाला भी नहीं,आज कुंए के पानी से निस्तारी करते हैं ,तो कभी स्कूल के हैंडपम्प से पानी लाकर परिवार की प्यास बुझाते हैं। गर्मी में तकलीफ असहनीय हो जाती है। मामले में हमने एसडीओ हर्ष कवीर से संपर्क कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की ,हमेशा की तरह कॉल रिसीव नहीं करने की वजह से उनका पक्ष नहीं आ सका ।
दफ्तर में बैठे मॉनिटरिंग, गुणवत्ता संदेहास्पद !जांच की दरकार ,क्या सुध लेगी साय सरकार !
निश्चित तौर पर एक सब इंजीनियर कोरबा डिवीजन (कार्यपालन अभियंता )कार्यालय ,से लेकर कोरबा,कटघोरा एवं पोंडी उपरोड़ा जैसे भौगोलिक रूप से वृहद ब्लॉक में स्वीकृत जल जीवन मिशन के तकरीबन 300 करोड़ रुपए से अधिक के करीब 170 से अधिक कार्यों की मॉनिटरिंग नहीं कर सकते। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो दफ्तर में बैठे बैठे पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के स्वीकृत करोड़ों रुपए के कार्यों का मूल्यांकन हो रहा,और दफ्तर में बैठे एसडीओ द्वारा बिल पास कर फर्मों को भुगतान किया जा रहा है। जाहिर है ताली एक हाथ से नहीं बजने वाली ,बिना अधिकारियों को प्रसन्न किए बगैर यह सब संभव नहीं।
मिशन संचालक ने नोटिस देकर निभाई थी औपचारिकता ,क्या साय सरकार लेगी सुध !
मिशन संचालक जल जीवन मिशन ने 2 हजार 201 करोड़ 74 लाख की लागत से स्वीकृत 2 हजार 901 कार्य लटकाने वाले प्रदेश के 40 फर्मों को जल जीवन मिशन अंतर्गत कार्यों की अत्यंत धीमी प्रगति एवं अमानक स्तर के कार्यों के सम्पादन के लिए 17 फरवरी 2023 को नोटिस जारी कर पंजीयन रद्द कर ब्लैक लिस्टेड करने अल्टीमेटम देकर स्पष्टीकरण मांगा था।लेकिन माकूल जवाब नहीं मिलने के बावजूद पूर्ववर्ती भूपेश सरकार में फर्मों को अभयदान मिल गया। इनमें कोरबा के 2 फर्म भी शामिल थे। जिसमें मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा भी शामिल था।लेकिन यह नोटिस महज कागजी खानापूर्ति साबित हुई । न फर्म ने कार्यों की गुणवत्ता गति में सुधार लाई न ही तत्कालीन मिशन संचालक ने कोई कार्रवाई की। बीजेपी की सरकार आने के बाद मिशन संचालक की छुट्टी कर मूल विभाग में तो वापसी कर दी गई है लेकिन यह देखना अब दिलचस्प होगा कि क्या साय सरकार ऐसे फर्मों पर एक्शन लेगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार न केवल कांग्रेस वरन बीजेपी के नेताओं के बेहद करीबी दर्जनों दिग्गज ठेकेदारों ने करोड़ों का कार्य जल जीवन मिशन में लिया है। सत्ता परिवर्तन के बाद मीडिया से लेकर प्रशासनिक विभागीय कार्यालयों में ऐसे ठेकेदार यह दावा करतें फिर रहे हैं कि यह सरकार हमारी है ,जांच या कार्रवाई करने की किसकी हिमाकत। उनके इन दावों में कितना बल है कि यह तो आने वाले वक्त में पता चल जाएगा,बहरहाल मार्च तक योजना से जलापूर्ति नहीं होने पर अप्रैल माह में लोकसभा चुनाव के दौरान जनता के बीच जाने पर बीजेपी की मंशा पर पानी फिर सकता है ।
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