नई दिल्ली: कांग्रेस ने आखिरकार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने का न्योता अस्वीकार कर दिया है. पार्टी की तरफ से बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्योता सम्मानपूर्वक अस्वीकार कर दिया है. पार्टी ने कहा, वह “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ/भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रम” में भाग नहीं लेगी. इसने यह मुद्दा भी उठाया है कि मंदिर का निर्माण अधूरा है, लेकिन उद्घाटन किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव से पहले जल्दबाजी. पार्टी साफ कर चुकी कि 22 जनवरी को होने वाले इस कार्यक्रम में सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस का कोई भी नेता अयोध्या नहीं जाएगा.
कांग्रेस का कहना है RSS/बीजेपी ने लंबे समय से अयोध्या में मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है. बीजेपी और आरएसएस के नेताओं द्वारा अधूरे मंदिर का उद्घाटन स्पष्ट रूप से चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है. कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी के इस फैसले पर नाराजगी जताई.
कांग्रेस को होगा नुकसान?
कांग्रेस का यह फैसला पार्टी की छवि बिगाड़ सकता है. कांग्रेस को पहले ही हिंदू विरोधी पार्टी समझा जाता है ऐसे में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराना कांग्रेस को भारी पड़ सकता है. कांग्रेस हिंदू विरोध पार्टी, राम विरोधी के रूप में पेश हो सकती है. बीजेपी, कांग्रेस के फैसले को मुद्दा बनाकर जरूर भुनाएगी. हालांकि यह पहली बार नहीं है कि कांग्रेस ने इस तरह का कोई निर्णय लिया है जिससे उसे नुकसान होगा. कांग्रेस, अन्य विपक्षी दलों के साथ, नए संसद भवन के लिए भूमिपूजन और सेनगोल समारोह में भी शामिल नहीं हुई थी. इससे उस पर हिंदू विरोधी होने का टैग लग गया था.
इन सवालों का देना होगा जवाब
कांग्रेस का कहना है कि राम मंदिर को मुद्दा बनाकर बीजेपी फायदा लेना चाहती है. लेकिन कांग्रेस इस सवाल का जवाब कैसे देगी कि राम मंदिर के कार्यक्रम के न जाकर कांग्रेस कौन सा फायदा उठना चाहती है. बीजेपी अगर हार्ड हिंदुत्व को आगे बढ़ा रही है तो प्यार बांटने वाले राहुल-प्रियंका क्यों राम मंदिर पर प्यार नहीं बरसा रहे. यह बात क्लियर है कि चुनावों में भी बीजेपी कांग्रेस को राम विरोधी और हिंदू विरोधी के तौर पर प्रचारित करेगी और इसका जवाब कांग्रेस को देना मुश्किल होगा.
INDIA गठबंधन के कई साथी पहले से सनातन के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं, जिन पर बीजेपी सफाई मांगना जारी रखेगी और कांग्रेस खामोश है. अधूरे मंदिर और बीजेपी-आरएसएस के प्रायोजित कार्यक्रम की सफाई लोगों के गले शायद ही उतरे, बीजेपी इस पर भी जरूर सवाल उठाएगी.
इस बार राम मंदिर का आमंत्रण ठुकराना पार्टी को लोकसभा चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है. यह बात कहीं न कहीं कांग्रेस भी जानती है इसलिए प्राण प्रतिष्ठा का न्योता ठुकराने में कांग्रेस ने काफी वक्त लिया. बीजेपी स्पष्ट रूप से राम मंदिर को एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करने के मूड में है.
अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम
अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मशहूर हस्तियों, उद्योगपतियों और अन्य लोगों समेत 6,000 से अधिक लोगों के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में भाग लेने की उम्मीद है. राम मंदिर का पहला चरण पूरा होने वाला है.
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