उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के प्रथमिक विद्यालय में तैनात 85 शिक्षकों को बर्खास्त किया गया था और सभी के ऊपर एफआईआर भी दर्ज हुई है. इसकी जांच बेसिक शिक्षा विभाग और एसटीएफ ने मिलकर की थी. जिसमें फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे 85 से अधिक शिक्षकों ने नौकरी हासिल कर ली थी. लंबी जांच पड़ताल के दौरान 85 फर्जी शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है और कई टीचरों पर अभी भी तलवार लटकी है.
इन सभी फर्जी शिक्षकों ने सरकार से तकरीबन 25 करोड़ रुपये से अधिक की सैलरी ली है. बेसिक शिक्षा अधिकारी शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि सभी शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है और 25 करोड़ रुपये से अधिक की आरसी जारी कर दी गई है. जल्द ही इसमें व्यापक स्तर पर और कार्रवाई की जाएगी. जिन शिक्षकों ने यह नौकरी हासिल की है उनमें से सभी के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं और 1999 से लेकर अब तक की भर्तियों का यह पूरा मामला है.
उन्होंने बताया कि जिन शिक्षकों से वसूली की जानी है उनमें सलेमपुर के रोड निवासी राम लखन से 63.86 लाख, ठाकुर नगर वार्ड के राम भरोसा से 87.60 लाख, सलाहाबाद वार्ड निवासी वीना रानी से 72.69 लाख, टीचर्स कॉलोनी के सुशील कुमार सिंह से 48.24 लाख, हरिया के आलोक कुमार से 11.90 लाख, गौरव कुमार से 10.37 लाख, स्वाति तिवारी से 37.65 लाख, विराज भार के वेद प्रकाश तिवारी से 22.62 लाख, गुलाबचंद से 22.62 लाख, बरसी पार के राजेश कुमार से 34.79 लाख रुपये वसूले जाने हैं.
इन लोगों से होगी करोड़ों की वसूली
इनके अलावा दीनानाथ तिवारी से 85.17 लाख, बिरजानंद यादव से 54.15 लाख, कसली की रीता मिश्रा से 77.51 लाख, बरसी पार की रेनू बाला से 63.86 लाख, प्रियंका से 46.50 लाख, रेवली के हरेंद्र यादव से 96 लाख, मझवलिया गांव के वृंदा लाल गौतम से 54.42 लाख, रंगोली के चंद्रभूषण यादव से 43.50 लाख, बतरौली के सरोज यादव से 37.93 लाख, भागलपुर के संजय कुमार से 68.50 लाख और तिवारीपुर के अभिषेक तिवारी से 9.65 लाख रुपये की वसूली होनी है.
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