KORBA बिगड़ा मौसम, मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था से 121 करोड़ के धान पर मंडराया बारिश का खतरा, डीओ कटने के बाद भी उठाव के लिए नहीं पहुंच रहे राइस मिलर्स के वाहन

कोरबा, 07 जनवरी । मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था से आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए 121 करोड़ 25 लाख 14 हजार 605 रुपए के धान पर खतरा मंडरा रहा। जी हां 5 लाख 55 हजार 435 क्विंटल के ये वे धान है जो खरीदी के बाद उपार्जन केंद्रों में उठाव के इंतजार में हैं। मार्कफेड के 99प्रतिशत डीओ काटे जाने के दावों के बीच आसमान में पिछले 18 घण्टों से छाए घने बादल ने समिति प्रबंधकों की नींदें उड़ा दी है । बेमौसम बारिश होने पर रखरखाव के तमाम व्यवस्थाओं के बीच धान को पूर्णतः सुरक्षित रख पाने की कड़ी चुनोती होगी।

यहां बताना होगा कि पूरे प्रदेश में 1 दिसंबर से लेकर 31 जनवरी तक नगद एवं लिंकिंग व्यवस्था के तहत पंजीकृत किसानों से धान खरीदी का कार्य किया जा रहा है जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी जारी है। जिले को इस साल 25 लाख 70 हजार क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य दिया गया है 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों में पंजीकृत 50 हजार 912 किसानों के माध्यम से धान खरीदी का कार्य किया जाना है। ‘मोदी की गारंटी ‘ (3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी एवं 2 साल का बोनस ) का वादा पूरा होने से किसान धान बेचने जबरदस्त उत्साह दिखा रहे। जिले में अब तक 26 हजार 652 किसान 14 लाख 46 हजार 423 क्विंटल धान बेच चुके हैं। समर्थन मूल्य (2183 रुपए प्रति क्विंटल ) पर इसकी कीमत 315 करोड़ 75 लाख 43 हजार 198.80 रुपए की है। जिसका किसानों को सहकारी बैंकों के सभी 6 शाखाओं के माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।


हालांकि अभी भी जिला तय लक्ष्य का 50 फीसदी ही धान की खरीदी का लक्ष्य पूरा नहीं कर सका है। जिसे देखते हुए उपार्जन केंद्रों की प्रतिदिन धान खरीदी की औसतन लिमिट लगभग दोगुनी कर दी गई है। प्रतिदिन औसतन 50 हजार क्विंटल से अधिक की धान खरीदी हो रही।
अचानक लिमिट बढ़ाए जाने से समितियां वैसे ही हैरान थीं , राइस मिलरों द्वारा डीओ काटे जाने के बाद भी धान का उठाव नहीं करने की वजह से समितियों में जाम के हालात निर्मित हो रहे। धान खरीदी के 72 घण्टों के भीतर केंद्रों से उठाव के मार्कफेड के दावों की इस साल भी हवा निकल गई है।अभी भी केंद्रों में 5 लाख 55 हजार 435 क्विंटल धान जाम पड़े हैं। समर्थन मूल्य पर जाम पड़े धान की कीमत 121 करोड़ 25 लाख 14 हजार 605 रुपए की है। इधर मौसम विभाग ने प्रदेश में आगामी 72 घण्टे तक बादल एवं हल्की बारिश का अलर्ट जारी किया है। शनिवार को दिन भर आसमान में बादल छाए रहे ,समितियों के कर्मचारियों को तारपोलीन से ढंकने कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।समिति के कर्मचारियों को खराब मौसम में काटे जा चुके टोकन में किसानों से धान खरीदी के साथ ही धान की सुरक्षा में जद्दोजहद करना पड़ रहा।


ऐसे में उपार्जन केंद्रों में रखे गए धान को बारिश से बचाने समितियों को खूब पसीना बहाना पड़ेगा । अगर बारिश में धान भीगते हैं तो जीरो शार्टेज पद्धति की वजह से समितियों को शार्टेज की भरपाई करनी पड़ेगी।

24 उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट से दोगुना से अधिक धान जाम ,मार्कफेड कर रहा इंकार

मार्कफेड की लचर अदूरदर्शितापूर्ण परिवहन व्यवस्था की वजह से 24 उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट से 2 से 3 गुना अधिक धान जाम हैं,ऊपर से डीओ कटने के बाद भी राइस मिलरों के वाहन नहीं आने से केंद्रों में पांव रखने की जगह नहीं है।10 हजार क्विंटल से अधिक मात्रा में धान जाम होने वाले उपार्जन केंद्रों में अखरापाली ,उतरदा,कनकी ,करतला ,
केरवाद्वारी,कुल्हरिया ,कोथारी,कोरकोमा,कोरबी (पाली),कोरबी (पोंड़ी उपरोड़ा ) ,चैतमा,चिकनीपाली,तुमान ,
नवापारा ,बेहरचुआं ,निरधी ,पोंडी ,
फरसवानी ,बरपाली (कोरबा),बरपाली (बरपाली),भैसमा,भिलाईबाजार,रामपुर ,
श्यांग एवं सिरमिना शामिल हैं। हालांकि मार्कफेड की डीएमओ यह स्वीकारने कतई तैयार नहीं कि एक भी समिति में बफर लिमिट से अधिक धान जाम हैं। मैडम ऑनलाइन डीओ के बेहतर आंकड़े देखकर ही प्रदेश में कोरबा में सबसे धान के उठाव की सबसे बेहतर स्थिति के दावे कर रही हैं। जबकि जमीनी वास्तविकता इससे उलट है।

वर्जन

किसी भी समिति में बफर लिमिट नहीं हुआ पार ,समितियाँ नहीं देती हैं लोडिंग पॉइंट ,अवकाश दिवस पर ही उठाव में आती है तेजी

पर्याप्त डीओ काटा जा चुका है ,पूरे प्रदेश में बेहतर स्थिति में हैं ,बफर लिमिट से अधिक किसी भी केंद्रों में धान जाम नहीं हैं। आपको इतना ज्ञान कहाँ से मिला । खरीदी दिवस में समितियों द्वारा राइस मिलरों के वाहनों को लोडिंग पॉइंट नहीं देने की वजह से अवकाश दिवस में उठाव में तेजी आती है। दीगर जिले से धान के उठाव का डीओ जारी नहीं किया गया है।

जान्हवी जिल्हारे ,डीएमओ ,कोरबा

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