सत्यम शिवम सुंदरम… फिल्मी पर्दे पर भगवान शंकर के कैसे-कैसे रूप? OMG!

मुंबई : सिनेमा के पर्दे पर कभी भगवान श्रीराम, कभी भगवान श्रीकृष्ण तो कभी भगवान शिव को भी अनेक बार दर्शाया गया है. हाल के सालों में ब्रह्मास्त्र, शिवाय, केदारनाथ और बाहुबली जैसी फिल्मों में भोलेनाथ को अनोखे रूप में दिखाया गया है. लेकिन दो अहम फिल्में हैं- सत्यम शिवम सुंदरम और OMG2; इनके जरिए भगवान शिव में जो विविधता दिखाई गई है, उसके क्या खास मायने हैं, जानते हैं.

ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है… और यही सत्यम शिवम सुंदरम है, जिसे शोमैन राज कपूर ने सन् 1978 में ही पर्दे पर उतारने की कोशिश की थी. लेकिन कुछ शिव भक्तों को फिल्म के कई सीन रास नहीं आए. फिल्म में जीनत अमान के बोल्ड दृश्यों पर आपत्ति जताई गई थी. मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा था. फिल्म में जीनत अमान ने गांव की युवती का किरदार निभाया है. उसके चेहरे पर एक तरफ से दाग है. उसके किरदार का नाम रूपा है. वह बहुत कुरूप दिखती है. लेकिन उसके किरदार की सबसे अनोखी बात ये कि वह अनन्य शिवभक्त है. वह अल्हड़ है, बिंदास है, प्रकृति प्रेमी और धार्मिक भी है. अल सुबह उठकर शिव मंदिर जाती है, भजन गाती हैं. इस हिसाब से उसका व्यक्तित्व निराला है और आंतरिक सौंदर्य से परिपूर्ण है.

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फिल्म में रूपा के रूप में जीनत अमान शिवलिंग से लिपट-लिपट कर पूजा-आराधना करती है. वह कृष्ण भक्ति में लीन रहने वाली मीरा की भांति दिखती है. शिवलिंग पर पवित्र जल चढ़ाती है. और मधुर तान में भक्ति गीत गाती है… राम अवध में, काशी में शिव, कान्हा वृंदावन में, दया करो प्रभु, देखू इनको, हर घर के आंगन में… राधा मोहन शरणम्… सत्यम शिवम सुंदरम… फिल्म में रूपा वह युवती है जो विभिन्नता में एकता में यकीन करने वाली है. उसका भक्ति दर्शन समतामूलक समाज को समर्पित है. वह भगवान शिव की वंदना करती है लेकिन साथ में राम और कृष्ण की भी.

सिनेमा में शिव विभिन्नता में एकता
रूपा बनी जीनत अमान के किरदार के माध्यम से राज कपूर इस फिल्म में एकता की फिलॉस्फी भी पिरोते हैं- मसलन- एक सूर्य है, एक गगन है, एक ही धरती माता, दया करो प्रभु, एक बने सब, सबका एक से नाता… इस प्रकार रूपा भक्ति के रंग में सबको एक समान देखती है. वह नहीं जानती कि सुंदरता क्या है, और बदसूरती किसे कहते हैं. और वह चाहती है दुनिया भी उसे उसी रूप में देखे. लेकिन उस पर आसक्त इंजीनियर रंजीत का किरदार निभाने वाले शशि कपूर को पता चलता है कि वह जिसके मधुर स्वर पर मोहित है, वास्तव में वह बहुत ही कुरूप है. इसके बाद कहानी इस बात को साबित करने के लिए आगे बढ़ती है कि जो सत्य है, वही ईश्वर है, वही शिव है और जो शिव है वही तो सुंदर है.

सिनेमा में भी शिव अर्द्धनारीश्वर हैं
हिंदू धर्मशास्त्र के मुताबिक भगवान शिव का व्यक्तित्व खुद भी विभिन्नताओं से युक्त है. वह उतना ही वैविध्यपूर्ण है, जितना कि हमारा समाज और प्रकृति. भगवान शंकर के व्यक्तित्व में वाम और दाम दोनों के भाव और विचार हैं. वह अर्द्धनारीश्वर है. वह सुंदर और असुंदर दोनों ही हैं. उनमें विष और अमृत दोनों का ही तत्व हैं. वह गंगा और यमुना दोनों का स्रोत है. वही संगम हैं. फिल्मी पर्दे पर भगवान शंकर की इस विविधता को दर्शाना अपने आपने में जोखिम भरा काम रहा है. फिल्मी पर्दे पर भगवान शंकर के निराले रूप और बिंदास जीवन दर्शन को फिल्माने की वजह से राज कपूर को भी कानून का सामना करना पड़ा था.

सिनेमा में भी सत्य ही शिव है
दो साल पहले जब OMG2 यानी ओ माय गॉड पार्ट 2 रिलीज हुई तब भी फिल्म के निर्माता-निर्देशक को कानूनी नोटिस भेजा गया था. भगवान शंकर और शिवलिंग के आधुनिक और वैज्ञानिक चित्रण को लेकर सवाल उठाये गये थे. फिल्म को वयस्क श्रेणी में रखा गया. इस फिल्म में अक्षय कुमार साक्षात् भगवान शंकर बने थे. वहीं शिवजी के पुजारी बने पंकज त्रिपाठी के अपने ही घर में उनका बेटा जब कथित दुराचार का आदि हो जाता है, तब भगवान भोलेनाथ अक्षय कुमार के रूप में उसकी और उसके परिवार की रक्षा के लिए धरती पर आते हैं. शंकर जी को पता है कि जो समाज सवाल उठाकर पुजारी परिवार पर निशाने साध रहा है, वह भ्रांतिपूर्ण धारणा से ग्रस्त है. कोर्ट में भी आरोपों को खारिज कर दिया जाता है. इस प्रकार सत्य शिव और सुंदर का वास्तविक दर्शन फिल्म के जरिए सबके सामने आता है. फिल्म बताती है- सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता. यह सत्य ही शिव है.

शिव भक्त बाहुबली, शिवाय और बाहुबली
इन दो अहम फिल्मों के अलावा भी अनेक बार फिल्मी पर्दे पर भगवान शंकर की भक्ति और उनके रूपों की भव्यता को दर्शाया गया है. अयान मुखर्जी के निर्देशन में और आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, अमिताभ बच्चन और मौनी रॉय स्टारर ब्रह्मास्त्र हो या उससे पहले सारा अली खान और सुशांत सिंह राजपूत अभिनीत फिल्म केदारनाथ, साल 2016 की अजय देवगन की फिल्म शिवाय, या फिर शिव भक्त बाहुबली के रूप में अपने कंधे पर विशाल शिवलिंग को उठाये प्रभास- ये सभी फिल्में भगवान शिव की भक्ति को समर्पित हैं.बाहुबली, केदारनाथ और शिवाय के गीत काफी प्रचलित भी हुए. इन फिल्मों के जरिए फिल्मकारों ने शिव के विराट व्यक्तित्व को दिखाया और दर्शकों तक उनकी विविधता भरी सोच पहुंचाने की कोशिश की. शिव आदि रूप है, उसमें सत्य निहीत है, और उसी सत्य में शाश्वत सौंदर्य है.

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