Ujjain News: उज्जैन के श्री रामजनार्दन मंदिर में 300 साल पुराना मालव मराठा शैली के चित्रों का संसार

उज्जैन। पुरातत्व संरक्षित स्मारक श्री रामजनार्दन मंदिर में 300 साल पुराना मालव मराठा शैली में निर्मित चित्रों का संसार मिला है। विक्रम विश्व विद्यालय की ललितकला नाट्य एवं संगीत अध्ययनशाला के शोध अध्यता तिलकराज सिंह सोलंकी ने इसकी खोज की है। भित्ति चित्रों में भगवान श्रीराम की बाल लीला, विवाह के साथ संतों के चित्र निर्मित हैं।

काल के अंतराल में मौसम के प्रभाव व मंदिर में होने वाली नित्य पूजन आरती में उपयोग होने वाली धूप, दीप के धुएं से पुरातन कला को नुकसान पहुंच रहा है। मंदिर की तरह पौराणिक कला के संरक्षण की भी आवश्यकता है। मंगलनाथ मार्ग पर खाकचौक के समीप श्रीरामजनार्दन मंदिर स्थित है। मध्य प्रदेश शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा इसे राज्य संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है।

मंदिर परिसर में नागर शैली में निर्मित पूर्व मुखी दो मंदिर स्थापित हैं। प्रथम मंदिर भगवान विष्णु का है तथा दूसरा मंदिर भगवान श्रीराम का है। शोधार्थी तिलकराजसिंह सोलंकी ने बताया भगवान विष्णु के मंदिर में मूर्ति के आसपास तथा उत्तर व दक्षिण की दीवारों पर मालव मराठा शैली में चित्रण देखने को मिलता है।

भगवान श्रीराम की पत्रिका का लेखन करते ऋषि वशिष्ठ।

चित्र शैली तथा इन्हें बनाने में किए गए रंगों का उपयोग देखकर लगता है 300 साल पहले देवी अहिल्याबाई होलकर के शासन काल में श्री रामजनार्दन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया होगा। क्योंकि इसी काल में इस शैली में चित्र बनाए जाते थे। उत्तर की दीवार पर शंख, चक्र धारी पीतांबर वसना भगवान श्रीकृष्ण का चित्र दृष्टिगोचर होता है। जिनके दोनों ओर दो करबद्ध स्त्रियां आराधना करते दिखाई देती है। इसी भित्ति के वाम भाग में संत एकनाथजी का हाथों में एकतारा लिए दुर्लभ चित्र अंकित है। चित्र के ऊपर एकनाथजी का नाम अंकित है और दो शिष्य चरणों में दंडवत करते हुए दृश्य होते हैं।

श्रीराम के विवाह के चित्र

श्रीराम मंदिर की उत्तरी एवं दक्षिणी दीवार पर चटक लाल रंग की पृष्ठ भूमि पर श्रीराम कथा से संबंधित चित्र बनाए गए हैं। इनमें ऋषि वशिष्ठ स्वर्ण रचित दवात से भगवान श्रीराम की जन्म पत्रिका बनाते दिखाई देते हैं। सामने राजा दशरथ बैठे हैं। हाथों में लेखन सामग्री लिए परिचारकगण भी दृश्य होते हैं। इसके अतिरिक्त श्रीराम जन्म, श्रीराम विवाह आदि के चित्र भी अत्यंत दुर्लभ व मनमोहक हैं।

गोवर्धनधारी कृष्ण की दुर्लभ मूर्ति

शोधार्थी ने श्रीराम जनार्दन मंदिर के गर्भगृह में बने भित्तिचित्रों के साथ मूर्तियों पर भी अध्ययन किया है। यहां गोधर्वनधारी श्रीकृष्ण की एक दुर्लभ मूर्ति मौजूद है। काले पाषाण से निर्मित यह मूर्ति परमार काल की करीब एक हजार साल पुजारी है। तिलकराजसिंह के अनुसार ऐसी दूसरी मूर्ति मालवा में कहीं नजर नहीं आती है।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]