कोेरबा,03 दिसम्बर । कटघोरा वन मंडल के ग्राम गुरसियां में धान मिसाई कर शाम छह बजे घर वापस लौट चार ग्रामीणों का सामना 18 हाथियाें के साथ हो गया। चारों डर के मारे भागने लगे। तीन ग्रामीण घर वापस लौट गए लेकिन एक ने जंगल के बीच झाड़ियों में शरण ले ली। आठ घंटे तक वह झाड़ियों में दुबका रहा। हाथियों को जगह से खदेड़ने के बाद वन कर्मियों ने रेस्क्यू कर ग्रामीण को बाहर निकाला।
जंगली हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। खेतों में धान कटाई के बाद खलिहानों में रखे धान के आसपास मंडराने लगे है। गुरसियां निवासी प्यारे सिंह ने धान मिसाई के लिए करमन सिंह बांधापारा, राजकुमार गुरसियां, चंद्रभान और सरमिहा बिंझावार सेंद्रीमुड़ा को अपने घर बुलाया था। सुबह से शाम तक धान मिसाई का चलता रहा। काम पूरा होने के बाद चारों मजदूर घर वापस लौट रहे थे। वे सभी उमेंद सिंह के खेत के पास पहंचे ही थे कि 18 हाथी सामने से आते दिखाई दिए।
हाथियों के दल को अचानक सामने पाकर चारों सिर पर पांव रखकर भागने लगे। करमन,राजकुमार व चंद्रभान ग्राम सेंद्रीमुड़ा की ओर भागे। वहीं सरमिहा बिंझवार 65 वर्ष जंगल की ओर भागा और झाड़ियाें के बीच दुबक गया। देर रात तक सरमिहा के वापस नहीं लौटने पर उसके घर में कोहराम मच गया। लोगों को शंका होने लगी कि कहीं सरमिहा हाथी के चुंगल में तो नहीं फंस गया। मामले की सूचना ग्रामीणों ने वनपाल गुरबारी बाई को दी। उन्होने इसकी सूचना अपने साथी वन कर्मियाें को दी। टीम के साथ पहुंचे वन कर्मियों ने पहले हाथियाें दूसरी ओर खदेड़ा।
कर्मियों ने सरमिहा के नाम से आवाज देना शुरू किया। उधर सरमिहा ने भी खुद को झाड़ी में छपे होने की सूचना दी। देर रात तक झाड़ी में छुपे सरमिहा का स्वास्थ्य ठंड की वजह से बिगड़ गई थी। वह चलने में असमर्थ था। वन कर्मियाें उसे कांधे पर उठाकर वापस बस्ती लाए और स्थानीय अस्पताल में इजाज कराया। तब कहीं लोगाें ने राहत की सांस ली।
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